अलीगढ़ में पूर्व राज्यसभा सदस्य और पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह के विश्वस्त रहे स्वर्गीय वसीम अहमद का फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी होने का मामला सामने आया है। आरोप उनकी पत्नी और साले पर लगे हैं, जबकि नगर निगम की भूमिका पर भी सवाल खड़े हुए हैं। शिकायत मिलने के बाद जहां नगर निगम ने विभागीय जांच शुरू कर दी है, वहीं पुलिस ने prima facie फर्जीवाड़ा मिलने पर दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना प्रारंभ कर दी है।
भाजपा नेता की शिकायत पर मामला दर्ज
सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के नगला रोड स्थित उमर अपार्टमेंट के निवासी और भाजपा नेता सैय्यद अशहर इस्लाम राजा ने पुलिस में तहरीर देकर बताया कि उनके मामा और पूर्व सांसद वसीम अहमद का निधन 26 अप्रैल 2021 को कोविड काल के दौरान हृदयाघात से हुआ था। उनका अंतिम संस्कार परिवार की मौजूदगी में अलीगढ़ में ही संपन्न हुआ था।
शिकायतकर्ता के अनुसार, जून 2014 में वसीम अहमद ने दिल्ली के शाहीन बाग की रहने वाली और जेद्दा (सऊदी अरब) में शिक्षिका फराह बानो से निकाह किया था। परंतु विवाह के बाद ही वसीम अहमद को शक हो गया था कि फराह बानो उनकी प्रतिष्ठा और संपत्ति में दिलचस्पी रखती हैं। निकाह के बाद वे दो महीने तक सऊदी अरब में साथ रहे, लेकिन वसीम अहमद ने अपनी किसी भी सेवा या खाते में उनका नाम शामिल नहीं किया। बाद में शरीयत के अनुसार तलाक भी दे दिया गया।
फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने का आरोप
शिकायत में कहा गया कि वसीम अहमद के देहांत के बाद फराह बानो अलीगढ़ नहीं आईं, लेकिन अलग-अलग नोटिस भेजती रहीं। इसी बीच जुलाई 2021 में वसीम अहमद की पत्नी और भाई ने मलखान सिंह जिला अस्पताल से फर्जी तरीके से मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करवा लिया, जिसे बाद में सीएमएस स्तर की जांच में असत्य पाया गया। इसके बाद परिवार ने नगर निगम से 24 नवंबर 2022 को वैध प्रमाणपत्र बनवाया।
कुछ समय पहले दिल्ली पुलिस की तरफ से जारी एक पूछताछ के दौरान पता चला कि फराह बानो और उनके भाई मुस्तजाब मलिक ने मार्च 2023 में नगर निगम में आवेदन देकर पहले जारी किए गए वैध प्रमाणपत्र को निरस्त करवा नया प्रमाणपत्र बनवा लिया। आरोप है कि परिवार द्वारा जमा कराए गए दस्तावेजों का ही दुरुपयोग करते हुए नया प्रमाणपत्र तैयार कराया गया। इससे नगर निगम के कुछ कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।