लखनऊ: भाजपा ने प्रदेश संगठन में पिछड़ी जाति के नए ‘चौधरी’ को कमान सौंपकर विपक्षी पीडीए समीकरण पर सियासी संदेश दिया था। अब इसी रणनीति के तहत प्रदेश सरकार में संभावित मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद शुरू हो गई है। हालांकि विस्तार की तारीख और मंत्रियों की सूची पर अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
सूत्रों के अनुसार, लखनऊ से दिल्ली तक पार्टी मंत्रिमंडल विस्तार में पीडीए के समीकरण को मजबूत करने का खाका तैयार कर रही है। चर्चा का केंद्र इस बार जातीय संतुलन और युवाओं को अवसर देने पर है। माना जा रहा है कि कुर्मी और अन्य पिछड़ी जातियों के मंत्रियों का प्रतिनिधित्व बढ़ सकता है, जबकि कुछ मौजूदा मंत्रियों की जगह नए, ऊर्जावान और युवा विधायकों को मौका मिल सकता है।
विशेष रूप से कुर्मी समाज के नेताओं को प्रमोट करने पर जोर दिया जा सकता है, ताकि इस वर्ग पर पार्टी की पकड़ मजबूत हो। प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त हुए भूपेंद्र चौधरी को सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। इसके अलावा करीब आधा दर्जन नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावना जताई जा रही है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन पर भी ध्यान दिया जाएगा। पश्चिम यूपी, बुंदेलखंड और मध्य यूपी को विशेष महत्व मिल सकता है। साथ ही मंत्रियों की रिपोर्ट कार्ड की समीक्षा के आधार पर कुछ को संगठन में भेजा जा सकता है।
मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा तेज होने के साथ ही दावेदार विधायकों ने दिल्ली और प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में सक्रियता बढ़ा दी है। पार्टी का प्रयास है कि नए विस्तार के माध्यम से सरकार में पीडीए समीकरण स्पष्ट रूप से दिखे और आगामी 2027 के चुनाव में विपक्ष को चुनौती देने की तैयारी पूरी हो।