और कैसा होता है जंगलराज ?

बिहार के बेगूसराय की घटना को सभी टी.वी. चैनलों ने प्रमुखता से दिखाया है। दो बदमाश बाइक पर बिना हेलमेट के मुँह उघाड़े प्रकट होते हैं और तीस किलोमीटर की दूरी लांघते हुए बिना रोक-टोक 40 मिनट तक लोगों पर फायरिंग करते हुए रफूचक्कर हो जाते हैं। इन गुंडों की अंधाधुंध फायरिंग से एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तथा 10 लोग घायल हो जाते हैं।

गुंडों के फायरिंग रेंज में चार पुलिस थाने पड़े। कागजों में दिखाया गया कि जहां-जहां से ये दहशतगर्द गुजरे, वहां पुलिस की सात पेट्रोलिंग कारें गश्त कर रही थीं। इंडिया टी.वी. के संवाददाता ने जब पुलिस अधीक्षक से पूछा तो उन्होंने टरकाने वाला जवाब दिया। पुलिस गश्ती कार के एक ड्राइवर ने स्वीकार किया कि गाड़ी का वायरलेस ख़राब पड़ा है। दूसरी गाड़ी के चालक ने कहा कि बदमाशों की वारदात से सम्बंधित कोई सन्देश आया ही नहीं। एसएसपी या किसी पुलिसकर्मी ने जिम्मेदारी की कोई बात मीडिया से कही नहीं।

इससे एक दिन पहले पटना सदर थाने में घुस कर लालू यादव की पार्टी के एक एमएलसी अनवार मुहम्मद के पार्षद पुत्र ने सीओ तथा थाने के पुलिसजनों से जो गाली गलौच व बदसलूकी की थी, उसका वीडियो खूब वायरल हुआ था।

लालू पुत्र तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि नरेंद्र मोदी की सरकार जाती देख भाजपा जंगलराज का झूठा हल्ला मचा रही है। जब इससे पहले नितीश कुमार से गठबंधन में वे उपमुख्यमंत्री बने थे तब वे माफिया शाहबुद्दीन से जेल में जाकर मिले थे। शाहबुद्दीन जब रिहा हुआ तो तेजस्वी ने जेल का फाटक खुलवा कर और जेल स्टाफ से सलामी दिलवा कर उसे विदा कराया था और एक हजार कारों के काफिले के साथ ढोल-नगाड़े बजाते हुए व आतिशबाजी करते हुए शाहबुद्दीन का स्वागत कराया था। लालू परिवार फ़िल्मी कहानियों को बिहार में साकार करता है क्योंकि हमारे देश में मजबूत लोकतंत्र, निष्पक्ष न्यायपालिका और सत्यवादी मीडिया है। इसका अंजाम क्या होगा यह तो ईश्वर ही जानता है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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