हांगकांग के ताई पो इलाके में बुधवार को लगी भीषण आग के बाद हालात लगातार गंभीर बने हुए हैं। तलाशी अभियान के दौरान शुक्रवार को कई और शव मिलने से मृतकों की संख्या बढ़कर 128 हो गई। अग्निशमन विभाग के अनुसार, अभियान अब अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही इसे समाप्त कर दिया जाएगा।
अग्निशमन अधिकारियों ने बताया कि उनकी टीम विशेष रूप से उन इमारतों में तलाश पर ध्यान दे रही है, जहां से मदद के अधिकतम कॉल आए थे, लेकिन प्रारंभिक चरण में घना धुआं और तेज लपटें होने की वजह से वे वहां पहुंच नहीं पाए थे। अधिकारियों को आशंका है कि मृतकों का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है।
आग ने सात इमारतों को लिया चपेट में
बुधवार दोपहर वांग फुक कोर्ट परिसर की आठ रिहायशी इमारतों में से सात अचानक आग के घेरे में आ गईं। इनमें पुनर्निर्माण कार्य के लिए लगी बांस की मचान ने आग को तेजी से फैलने का रास्ता दिया। करीब एक हजार फायरफाइटर्स ने 24 घंटे की मशक्कत के बाद आग पर नियंत्रण पाया, लेकिन दो दिन बाद भी कुछ इमारतों से धुआं उठता दिखाई दे रहा है।
भारी जनहानि और व्यापक नुकसान
करीब 4,800 निवासियों वाले इस परिसर में हादसे ने भारी तबाही मचाई। अब तक 70 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं, जिनमें 11 अग्निशमनकर्मी शामिल हैं। लगभग 900 लोग अस्थायी राहत केंद्रों में शरण लेने को मजबूर हैं। जिन दो टावरों में आग की शुरुआत हुई, वहीं सबसे अधिक नुकसान दर्ज किया गया है।
हांगकांग पुलिस ने घटना में गंभीर लापरवाही बरतने के आरोप में एक निर्माण कंपनी के निदेशकों सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि सुरक्षा मानकों का उल्लंघन आग फैलने की बड़ी वजह बना।
सरकार ने सुरक्षा मानकों की समीक्षा के निर्देश दिए
अधिकारियों ने इस भीषण दुर्घटना को देखते हुए उन सभी हाउसिंग एस्टेट्स का त्वरित निरीक्षण कराने का फैसला किया है, जहां किसी प्रकार का निर्माण या पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है। इसका उद्देश्य मचान व्यवस्था और निर्माण सुरक्षा मानकों की जांच करना है ताकि ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
यह घटना हांगकांग के इतिहास के सबसे भयावह अग्निकांडों में शामिल हो गई है। इससे पहले 1996 में कोवलून की एक व्यावसायिक इमारत में लगी आग में 41 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 1948 के एक गोदाम अग्निकांड में 176 लोगों ने जान गंवाई थी।