पाकिस्तान सरकार ने सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को एक और शक्तिशाली पद सौंपते हुए उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स (CDF) नियुक्त कर दिया है। इस कदम के साथ अब पाकिस्तान की तीनों सेनाओं थल सेना, वायुसेना और नौसेना का सामरिक नियंत्रण सीधे मुनीर के हाथों में चला गया है। यह पद भारत में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के समान माना जा रहा है, जिसे वर्तमान में जनरल अनिल चौहान संभाल रहे हैं।
मई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सैन्य समन्वय की कमजोरी उजागर होने के बाद, पाकिस्तान सरकार ने महसूस किया कि तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल के लिए एकीकृत नेतृत्व संरचना जरूरी है।
संविधान संशोधन के बाद बढ़ा दायरा
हाल ही में पाकिस्तान की सीनेट में 27वें संवैधानिक संशोधन को मंजूरी दी गई, जिसके बाद यह रास्ता साफ हुआ कि आसिम मुनीर को पाँच साल के कार्यकाल के लिए इस नए पद पर नियुक्त किया जाए।
1 नवंबर को पारित इस संशोधन ने सैन्य ढांचे में बड़ा बदलाव लाते हुए ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) के पद को पूरी तरह समाप्त कर दिया। यह वही पद था, जिसे 1971 में भारत से मिली करारी हार के बाद प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने स्थापित कराया था।
‘मुनीर अब पाकिस्तान के सबसे ताकतवर व्यक्ति’
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल नईम खालिद लोधी ने टिप्पणी की कि इस नियुक्ति के बाद “फील्ड मार्शल जैसी शक्तियों से लैस आसिम मुनीर आज पाकिस्तान के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति बन गए हैं।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि राजनेताओं ने अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए देश का भविष्य दांव पर लगा दिया है।
दक्षिण एशिया मामलों के जानकार शुजा नवाज़ के अनुसार, इस फैसले से राजनेताओं ने मानो अपनी "राजनीतिक बीमा पॉलिसी" और मजबूत कर ली है। उनका कहना है कि मुनीर का पाँच वर्षीय कार्यकाल कई नेताओं के राजनीतिक कार्यकाल से अधिक होगा, और चुनाव नजदीक आने पर वे उनके समर्थन की उम्मीद कर सकते हैं।