पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, अगर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी के शीर्ष नेताओं को नौ मई की हिंसा और गोपनीय कानूनों के उल्लंघन से जुड़े मामलों में दोषी ठहराया जाता है। एक मीडिया रिपोर्ट में रविवार को यह बात कही गई। 

देश के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के चंदे की कई वर्षों तक जांच की। जिसके बाद घोषणा की कि पार्टी को अगस्त 2023 में अवैध तरीके से फंडिंग मिली। इससे पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेतृत्व वाली पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) सरकार के लिए पीटीआई को प्रतिबंधित करने का मौका मिल गया है। जिओ न्यूज की खबर के मुताबिक, बाद में इमरान खान को संसद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। 

इमरान खान ने 27 मार्च 2022 को जनसभा में एक कागज का टुकड़ा लहराया था और दावा किया था कि उनके हाथ में एक गोपनीय राजनयिक केबल (साइफर) है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया था कि यह (कागज का टुकड़ा) उनकी सरकार को गिराने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का सबूत है। 

नौ मई 2023 को इस्लामाबाद में अर्द्धसैनिक रेंजर्स ने भ्रष्टाचार के एक मामले में इमरान की गिरफ्तारी की थी। जिसके बाद देशभर में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए थे। प्रदर्शनकारियों ने रावलपिंडी में सेना मुख्यालय सहित बीस से ज्यादा सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। इसके आलवा, सरकारी इमारतें क्षतिग्रस्त की गईं या उनमें आग लगा दी गई। इस हिंसा के बाद इमरान की पार्टी मुश्किल में पड़ गई। पीटीआई के सैकड़ों समर्थकों को गिरफ्तार किया गया और कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

पिछली शहबाज सरकार का हिस्सा रहे एक उच्च पदस्थ सूत्र ने शनिवार को बताया कि ईसीपी के फैसले ने पीडीएम सरकार को देश के सर्वोच्च न्यायालय के सामने पीटीआई को प्रतिबंधित करने का सवाल उठाने का मौका दिया था। लेकिन सरकार ने सही समय पर इस मामले को उठाने की बात कही थी। पिछली सरकार में कानून एवं न्याय मंत्री रहे आजम नजीर तरार ने कहा कि सरकार देश को डिफॉल्ट होने से बचाने के लिए संघर्ष कर रही थी। इसलिए, उसने मामले को बाद में उठाने का विकल्प चुना। तरार ने कहा, पीटीआई ने 2017 के चुनाव अधिनियम के तहत कई  कानूनों का उल्लंघन किया है और अपराध किया है।