रूस की एक सैन्य अदालत ने गुरुवार को क्रीमिया को मॉस्को से जोड़ने वाले पुल पर हमले के मामले में आठ लोगों को आतंकवाद के आरोप में दोषी ठहराते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई। यह पुल यूक्रेन युद्ध के दौरान रूसी सेना के लिए एक प्रमुख आपूर्ति मार्ग के रूप में कार्य करता है।

हमले की पृष्ठभूमि
अक्तूबर 2022 में हुए इस हमले में एक ट्रक में बम फटने से पुल के दो हिस्से टूट गए थे। इस धमाके में ट्रक चालक और पास की कार में बैठे चार लोगों की मौत हो गई थी। पुल की मरम्मत में कई महीने लगे। रूस ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया और इसके जवाब में यूक्रेन की कई सार्वजनिक संपत्तियों, खासकर बिजली आपूर्ति प्रणाली पर बमबारी शुरू कर दी।

यूक्रेन की सुरक्षा सेवा ने ली जिम्मेदारी
यूक्रेन की सुरक्षा सेवा एसबीयू ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। गिरफ्तार किए गए आठ अभियुक्तों में रूसी, यूक्रेनी और आर्मेनियाई नागरिक शामिल थे। इसके अलावा पांच अन्य आरोपियों पर गैरहाजिरी में मुकदमा चलाया गया, जिनमें तीन यूक्रेनी और दो जॉर्जियाई नागरिक थे।

अभियुक्तों पर लगाए गए आरोप
आठ अभियुक्तों—आरत्योम और जॉर्जी अजत्यान, ओलेग एंटिपोव, अलेक्जेंडर बिलिन, व्लादिमीर जलोबा, दिमित्री त्याजेलिख, रोमन सोलोम्को और आर्तुर तेर्चान्यान—पर आतंकवादी हमला करने और अवैध हथियार तस्करी के आरोप लगे। सोलोम्को और तेर्चान्यान पर विस्फोटक तस्करी का अतिरिक्त आरोप भी था। रूसी अधिकारियों का दावा है कि ये सभी यूक्रेन की मदद से हमला करने में शामिल थे। हालांकि, अभियुक्तों ने सभी आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्हें ट्रक में विस्फोटक होने की जानकारी नहीं थी।

एसबीयू प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल वासिल मलियुक ने 2023 में एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने दो विश्वसनीय सहयोगियों के साथ मिलकर इस हमले की योजना बनाई थी और अन्य लोगों का इस्तेमाल उनकी जानकारी के बिना किया गया।

सुनवाई और रणनीतिक महत्व
इस मामले की सुनवाई फरवरी 2025 से रूस के रोस्तोव-ऑन-डॉन में सैन्य अदालत में बंद कमरे में चल रही थी। क्रीमिया को मॉस्को से जोड़ने वाला यह पुल न केवल सैन्य और नागरिक आपूर्ति के लिए अहम है, बल्कि 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद रूस की शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है।