अंतरिक्ष के क्षेत्र में नए अध्याय की शुरुआत करते हुए अमेरिका और रूस की संयुक्त टीम गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की ओर रवाना हुई। नासा के अंतरिक्ष यात्री क्रिस विलियम्स और रूस के अनुभवी कॉस्मोनॉट सेर्गेई मिकायेव और सेर्गेई कुद-स्वेर्चकोव ने कजाखस्तान के बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से सोयूज रॉकेट के माध्यम से उड़ान भरी।

मिशन कंट्रोल ने उड़ान के बाद पुष्टि की कि सोयूज MS-28 निर्धारित मार्ग पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है और सभी तीन सदस्यों की स्वास्थ्य स्थिति सामान्य है। यह प्रक्षेपण ऐसे समय हुआ जब वैश्विक राजनीतिक तनाव के बावजूद अमेरिका और रूस अंतरिक्ष विज्ञान में सहयोग जारी रख रहे हैं।

आठ महीने का मिशन और वैज्ञानिक कार्य
टीम आईएसएस पर लगभग आठ महीने तक रहेगी और वैज्ञानिक प्रयोग, माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान तथा स्टेशन के रखरखाव से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देगी। मिशन का उद्देश्य पृथ्वी के वातावरण, जैविक प्रक्रियाओं और लंबे समय तक मानव अंतरिक्ष यात्रा के प्रभावों का अध्ययन करना है।

डॉकिंग और तेज मिशन
सोयूज MS-28 को स्टेशन से डॉकिंग लॉन्च के तीन घंटे बाद करने का कार्यक्रम है। यह उन तेज मिशनों में शामिल है, जिन्हें विशेष रूप से आईएसएस तक की यात्रा अवधि कम करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस सफलता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरिक्ष विज्ञान के सहयोग की मजबूती को फिर से दर्शाया।

सोयूज का महत्व और संरचना
रूस का सोयूज कार्यक्रम दुनिया के सबसे भरोसेमंद मानव अंतरिक्ष उड़ान प्रणालियों में गिना जाता है। सोयूज न केवल अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाता है बल्कि भोजन, पानी और अन्य जरूरी आपूर्ति भी स्टेशन तक पहुँचाता है। आईएसएस पर हमेशा कम से कम एक सोयूज जुड़ा रहता है, जो आपात स्थिति में लाइफबोट की तरह काम करता है।

सोयूज रॉकेट और कैप्सूल से बना होता है। कैप्सूल में तीन मॉड्यूल होते हैं: ऑर्बिटल मॉड्यूल, जो कक्षा में रहने और स्टेशन से जुड़ने का स्थान होता है; डिसेंट मॉड्यूल, जो वापसी और प्रक्षेपण का माध्यम है; और जीवन-समर्थन मॉड्यूल, जिसमें बैटरियां, सौर पैनल और दिशा नियंत्रक इंजन शामिल हैं।