अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर नेटिव अमेरिकन समुदायों से जुड़े विवादास्पद बयान दिए हैं। उन्होंने कहा कि ‘इंडियन’ शब्द का इस्तेमाल अब लोगों के लिए लगभग प्रतिबंधित हो गया है और इसका प्रयोग केवल वे ही चाहते हैं जिन्हें यह पसंद है। ट्रंप ने यह भी कहा कि वह कभी किसी को इसे बदलने के लिए नहीं कहेंगे। उनका दावा है कि यह शब्द क्रिस्टोफर कोलंबस की गलतफहमी के कारण उत्पन्न हुआ, जब उन्होंने सोचा कि वे भारत पहुंच गए हैं, और इसी भ्रम के चलते नेटिव अमेरिकन को ‘इंडियन’ कहा जाने लगा।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका में जनजातीय पहचान, पुरानी टीमों के नाम और सांस्कृतिक संवेदनशीलता पर गंभीर चर्चाएं चल रही हैं। ट्रंप पहले भी नेटिव अमेरिकन मुद्दों को लेकर विवादों में रहे हैं। उदाहरण के लिए, वॉशिंगटन की एनएफएल टीम के पुराने नाम ‘रेडस्किन्स’ को लेकर उन्होंने पुराना नाम बनाए रखने की मांग की थी, जबकि 2020 में विरोध के बाद इसे बदलकर ‘वाशिंगटन कमांडर्स’ कर दिया गया।
अमेरिकन इंडियन अफेयर्स एसोसिएशन और अन्य कई समूहों ने ट्रंप के बयान को खारिज करते हुए कहा कि टीम नाम और मास्कॉट्स से नेटिव संस्कृति का मजाक बनाया जाता है। उनका कहना है कि ये नाम और प्रतीक नेटिव संस्कृतियों का सम्मान नहीं करते, बल्कि उन्हें मनोरंजन का साधन बना देते हैं। कई जनजातीय सदस्य ट्रंप पर अपनी राजनीतिक भाषा में नेटिव पहचान को मोड़ने का आरोप लगा रहे हैं।
वहीं, कुछ समूह जैसे नेटिव अमेरिकन गार्जियन्स एसोसिएशन ने ट्रंप के बयान का समर्थन किया है। इस संगठन का कहना है कि राष्ट्रपति के विचारों में सामान्य समझ है और कुछ नाम व शब्दों को फिर से अपनाना चाहिए।
ट्रंप का नेटिव अमेरिकन समुदायों से विवाद नया नहीं है। 1993 में उन्होंने कांग्रेस के सामने कहा था कि कुछ जनजातियां उन्हें ‘इंडियन’ जैसी नहीं दिखतीं और उनका दावा था कि उनके अंदर कई कथित इंडियंस से अधिक ‘इंडियन ब्लड’ हो सकता है। यह बयान नेटिव अमेरिकन गेमिंग लाइसेंस को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान आया था।