अमेरिका और पश्चिमी देशों के सख़्त आर्थिक प्रतिबंधों के बीच रूस ने भारत के साथ अपने संबंधों पर स्पष्ट संदेश दिया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि रूस-भारत संबंध किसी भी बाहरी दबाव या तीसरे देश के हस्तक्षेप से प्रभावित नहीं होंगे। उन्होंने न केवल ऊर्जा व्यापार को सुरक्षित रखने का भरोसा दिया, बल्कि बढ़ते व्यापार घाटे को दूर करने पर भी जोर दिया।
तेल व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ेगा: रूस का भरोसा
पेस्कोव ने कहा कि मॉस्को यह सुनिश्चित करेगा कि अमेरिकी प्रतिबंधों का असर भारत के साथ तेल व्यापार पर न पड़े। उन्होंने कहा,
“हम कोशिश कर रहे हैं कि व्यापार की मात्रा में, खासकर तेल क्षेत्र में, किसी तरह की कमी न आए।”
पिछले दो वर्षों में रूस भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है। पश्चिमी देशों के प्राइस कैप और शिपिंग प्रतिबंधों के बावजूद रूस ने भारत को स्थिर आपूर्ति देने का भरोसा जताया है।
'बाहरी दबाव से बचने के लिए सुरक्षा ढांचा बनाना होगा'
अमेरिका का नाम लिए बिना पेस्कोव ने संकेत दिया कि दोनों देशों को आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिए मजबूत तंत्र बनाना होगा।
उन्होंने कहा कि भारत और रूस को अपने द्विपक्षीय व्यापार को बाहरी दबावों से बचाने के लिए एक सुरक्षित भुगतान संरचना तैयार करनी होगी।
विशेषज्ञ इसे रुपये-रूबल तंत्र, वैकल्पिक भुगतान प्रणाली या डिजिटल करेंसी को मजबूती देने से जोड़कर देख रहे हैं।
भारत के बढ़ते व्यापार घाटे पर रूस गंभीर
रूस से भारी मात्रा में तेल और रक्षा उपकरण खरीदने के कारण भारत का व्यापार घाटा तेजी से बढ़ा है। रूस के पास भारतीय रुपये की बड़ी मात्रा जमा हो गई है, जिससे निपटना दोनों देशों के लिए चुनौती बन गया है।
पेस्कोव ने कहा,
“हम भारत के व्यापार घाटे की चिंता को समझते हैं और भारतीय निर्यात बढ़ाने के विकल्पों पर गंभीरता से काम कर रहे हैं।”
इससे संकेत मिलता है कि रूस जल्द ही भारतीय फार्मा उत्पादों, कृषि वस्तुओं, मशीनरी और ऑटो कंपोनेंट्स के लिए अपने बाजार को और खोलेगा।
‘मेक इन इंडिया’ को मिल सकता है बड़ा बाजार
रूसी प्रवक्ता ने बताया कि दोनों देश भारतीय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त रणनीति पर काम कर रहे हैं।
यह कदम न केवल व्यापार संतुलन सुधारने में मदद करेगा, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ को रूस जैसे विशाल बाजार में बड़ा अवसर भी दे सकता है।