प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मुंबई में आयोजित ‘इंडिया मैरीटाइम लीडर्स कॉन्क्लेव 2025’ को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी में भारत का समुद्री क्षेत्र तेज़ी और ऊर्जा के साथ प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश के बंदरगाह अब विकासशील देशों में सबसे कुशल माने जाते हैं और कई मामलों में विकसित देशों से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा, “वर्ष 2025 भारत के मैरीटाइम सेक्टर के लिए बेहद अहम साबित हो रहा है। विझिंजम पोर्ट के रूप में भारत का पहला डीप-वॉटर इंटरनेशनल ट्रांसशिपमेंट हब अब संचालन में आ चुका है। हाल ही में यहां दुनिया का सबसे बड़ा कंटेनर वेसल पहुंचा, जो हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।”

प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्ष 2024-25 में देश के प्रमुख बंदरगाहों ने अब तक का सर्वाधिक कार्गो हैंडल कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। इसी दौरान, जेएनपीटी में भारत-मुंबई कंटेनर टर्मिनल का दूसरा चरण भी शुरू हो गया है, जिससे इसकी क्षमता दोगुनी हो गई है और यह देश का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट बन गया है।

उन्होंने कहा कि नए शिपिंग कानून राज्य समुद्री बोर्डों की भूमिका को सशक्त बना रहे हैं और बंदरगाह प्रबंधन में डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं।

भारत के मैरीटाइम सेक्टर पर दुनिया का भरोसा बढ़ा: मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2016 में मुंबई से शुरू हुआ यह सम्मेलन आज एक वैश्विक आयोजन बन चुका है। “दुनिया के 85 से अधिक देशों की भागीदारी यह दर्शाती है कि भारत के समुद्री क्षेत्र पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरा विश्वास है,” उन्होंने कहा।

पीएम मोदी ने यह भी बताया कि शिपिंग सेक्टर से जुड़ी कई नई परियोजनाओं और अरबों रुपये के एमओयू इस अवसर पर जारी किए गए हैं। “यह हमारे मैरीटाइम सेक्टर की वैश्विक स्वीकृति का प्रमाण है,” उन्होंने जोड़ा।

उन्होंने बताया कि मैरीटाइम इंडिया विजन के तहत अब तक 150 से अधिक पहलों को लागू किया गया है, जिनसे बंदरगाहों की क्षमता दोगुनी हुई है और टर्नअराउंड समय में भारी कमी आई है। क्रूज़ पर्यटन में भी तेजी से वृद्धि हुई है और अंतर्देशीय जलमार्गों के जरिये माल ढुलाई में 700 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

‘समुद्री क्षेत्र देश की विकास गति का इंजन’

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते एक दशक में भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे में व्यापक सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि चालू जलमार्गों की संख्या 3 से बढ़कर 32 हो चुकी है, जबकि प्रमुख बंदरगाहों का वार्षिक शुद्ध अधिशेष नौ गुना बढ़ा है।

“समुद्री क्षेत्र हमारे व्यापार, परिवहन और औद्योगिक विकास को नई दिशा दे रहा है,” उन्होंने कहा।

‘भारत विश्व का स्थिर प्रकाशस्तंभ बनेगा’

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन करते हुए कहा, “यह वही भूमि है, जहां से भारत की समुद्री सुरक्षा और व्यापारिक प्रभुत्व की नींव रखी गई थी।”

उन्होंने कहा, “भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका जीवंत लोकतंत्र और विश्वसनीयता है। जब दुनिया अनिश्चित समुद्री परिस्थितियों में स्थिरता तलाशती है, तब भारत एक भरोसेमंद प्रकाशस्तंभ की तरह सामने आता है।”