राज्यसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने चुनावी प्रक्रियाओं और विपक्ष के आरोपों पर सरकार का पक्ष विस्तार से रखा। उन्होंने चुनाव सुधारों, मतदाता सूची और ईवीएम से जुड़े मुद्दों पर बोलते हुए कांग्रेस पर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया। नड्डा ने कहा कि “वोट चोरी” और “ईवीएम में गड़बड़ी” जैसे दावे तथ्यों से परे हैं और इनका उद्देश्य केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं पर अविश्वास पैदा करना है।
कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि जिस पार्टी के दौर में लंबे समय तक चुनाव आयोग के कामकाज पर एक परिवार विशेष का प्रभाव रहा, उस समय किसी ने निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठाए। अब जब संस्थाएं पूरी स्वतंत्रता से काम कर रही हैं, तो उन पर शंका जताई जा रही है।
जेपी नड्डा ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन–एसआईआर) को लेकर उठाए जा रहे सवालों को भी खारिज किया। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया कोई नई पहल नहीं है, बल्कि देश में पहले आम चुनाव से ही लागू रही है। नड्डा के अनुसार, बीते कुछ महीनों से जानबूझकर ऐसा माहौल बनाया जा रहा है, मानो चुनावी प्रक्रिया में अनियमितताएं हो रही हों।
चर्चा से नहीं बचती सरकार
नड्डा ने स्पष्ट किया कि मोदी सरकार संसद में किसी भी विषय पर चर्चा से पीछे नहीं हटती। उन्होंने कहा कि सरकार लोकतंत्र और संसदीय परंपराओं में विश्वास करती है और हर मुद्दे पर खुली बहस के लिए तैयार रहती है।
उन्होंने यह भी बताया कि संविधान चुनाव आयोग को मतदाता सूची की समय-समय पर जांच और सत्यापन का अधिकार देता है। यह व्यवस्था निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। नड्डा ने कहा कि वर्ष 2010 के बाद मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, जिससे अब गहन पुनरीक्षण और अधिक जरूरी हो गया है।
जेपी नड्डा ने भरोसा जताया कि चुनाव आयोग पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करेगा और किसी भी पात्र नागरिक को उसके मतदान अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा।