देश के 12 राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मंगलवार से शुरू होने जा रहा है। यह अभियान 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक चलेगा। चुनाव आयोग के अनुसार, इस प्रक्रिया के तहत गणना कार्य के बाद 9 दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची जारी की जाएगी, जबकि अंतिम सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित होगी। बिहार के बाद यह एसआईआर का दूसरा चरण है।

एसआईआर जिन प्रदेशों में शुरू हो रहा है, उनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़, गोवा, राजस्थान, गुजरात, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप और पुडुचेरी शामिल हैं। इनमें से तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में अगले साल मार्च से मई के बीच विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। अन्य राज्यों में भी अगले दो से तीन वर्षों में चुनाव होने की संभावना है। इन सभी प्रदेशों और केंद्रशासित क्षेत्रों में मिलाकर लगभग 51 करोड़ मतदाता हैं।

असम में अलग प्रक्रिया जारी रहेगी
असम में मतदाता सूची संशोधन की घोषणा फिलहाल टाल दी गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि राज्य में नागरिकता सत्यापन की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में चल रही है, इसलिए एसआईआर की घोषणा अलग से की जाएगी। उन्होंने कहा कि असम में नागरिकता अधिनियम के विशेष प्रावधान लागू हैं, इसलिए वहां अलग व्यवस्था अपनाई जाएगी।

तमिलनाडु में द्रमुक की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
इधर, तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) ने एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पार्टी ने चुनाव आयोग की 27 अक्टूबर की अधिसूचना को असंवैधानिक और मनमाना बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। द्रमुक की याचिका में कहा गया है कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 — यानी समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार — का उल्लंघन करती है। साथ ही, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और 1960 के मतदाता पंजीकरण नियमों के विपरीत भी बताई गई है। सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर जल्द सुनवाई होने की संभावना है।