भारतीय वायु सेना के लिए सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाने की जिम्मेदारी टाटा एयरबस को सौंपी गई है। कंपनी वडोदरा स्थित प्लांट में इन एयरक्राफ्ट का निर्माण करेगी। यह जानकारी सेना के अधिकारियों ने दी।
रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि यह पूरी तरह स्वदेशी में से एक होगा। भारत में बने विमानों की आपूर्ति 2026 से 2031 तक की जाएगी। पहले 16 विमान 2023 से 2025 के बीच आएंगे।
भारतीय वायु सेना अंततः इस C-295 परिवहन विमान की सबसे बड़ी परिचालक बन जाएगी।
रक्षा सचिव ने कहा कि आयात पर कोई प्रतिबंध नहीं है। नीति यह है कि भारत में जो कुछ भी बनाया जा सकता है वह यहां बनाया जाएगा। रक्षा बलों के लिए मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए एक जोरदार प्रयास किया जा रहा है। ऑपरेशनल तैयारियों से समझौता नहीं किया जाता है और ऑपरेशनल तैयारी हमारे दिमाग में सबसे आगे है।
रक्षा सचिव अजय कुमार ने कहा कि गुजरात के वडोदरा में एयरबस सी-295 परिवहन विमान के उत्पादन के लिए एक विनिर्माण केंद्र स्थापित किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि सुविधा की स्थापना का शिलान्यास समारोह 30 अक्टूबर को होगा और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। कुमार ने कहा कि पहली बार, सी-295 विमान का निर्माण यूरोप के बाहर किया जाएगा। पिछले साल सितंबर में भारत ने एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ लगभग 21,000 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए, जिसमें भारतीय वायुसेना के पुराने एवरो -748 विमानों को बदलने के लिए 56 सी -295 परिवहन विमान की खरीद की गई थी, जिसमें भारत में पहली बार किसी निजी कंपनी द्वारा सैन्य विमानों का निर्माण भी शामिल है।
समझौते के तहत एयरबस चार साल के भीतर सेविले, स्पेन में अपनी अंतिम असेंबली लाइन से ‘फ्लाई-अवे’ स्थिति में पहले 16 विमान देगा और बाद में 40 विमान भारत में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (टीएएसएल) द्वारा निर्मित और असेंबल किए जाएंगे। दोनों कंपनियों के बीच एक औद्योगिक साझेदारी के हिस्से के रूप में ये कार्य पूरा होगा।