चीन की चुनौती के लिए भारत की जबरदस्त तैयारी

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चीन के साथ जारी विवाद के बीच डेमचोक में भारत ने 3-4 महीने में नए नेटवर्क टावर और कम्युनिटी सेंटर का निर्माण किया है. पूरे लद्दाख में 35 नए टावर लगाए जाने का काम जोरों पर है. पूर्वी लद्दाख इलाके में, खास तौर पर सीमावर्ती गावों में लंबे समय से कम्युनिकेशन टावर का नहीं होना सबसे बड़ी समस्या थी. लेकिन अब 2022 तक पूरे इलाके में ज्यादा से ज्यादा टावर लगाए जाएंगे.

हाल ही में लद्दाख में 35 नए कम्युनिकेशन टावर लगाने को मंजूरी दी गई थी, जिसमें सबसे ज्यादा 15 टावर पूर्वी लद्दाख मे लगाए जाएंगे. इसके अलावा करीब 20 टावर लेह, कारगिल, द्रास और दूसरे इलाको में लगाए जाएंगे. इसका सबसे ज्यादा फायदा सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों को होगा, जो अक्सर संचार की दिक्कतों का सामना करते थे. इन कम्युनिकेशन टावर को सेना की मदद से बनाया जा रहा है और इनकी सुरक्षा एवं देखभाल भी स्थानीय प्रशासन सेना के साथ मिल कर ही करेगी.

कुछ जगहों पर ये काम पूरा भी कर लिया गया है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है डेमचोक. यहां पर ना सिर्फ आम लोगों के लिए 3-4 महीने में नया नेटवर्क टॉवर लगाया गया, बल्कि यहां के नागरिकों के लिए नए कम्युनिटी सेंटर और किचन सेंटर भी तैयार किया गया. इस इलाके में नेटवर्क टावर आज तक नहीं थे, जिससे अक्सर चीन के नेटवर्क भारत की तरफ के लोगों के फोन में पकड़ लेते थे और लोगों को काफी दिक्कत होती थी.

इन टावर के निर्माण से यहां के लोगों को सर्दियों में पीछे के इलाकों में नहीं जाना पड़ेगा. इसके अलावा चूशुल से डेमचोक को सड़क से जोड़ने का काम भी जोरों पर है. जिससे डेमचोक के स्थानीय लोग चूशुल और लेह तक कम समय में पहुंच सकें. पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच 17 महीने से जारी गतिरोध के लंबित मुद्दों का समाधान अब तक नहीं निकल पाया है.

13वें दौर की सैन्य बातचीत रही विफल

दोनों सेनाओं के बीच कमांडर स्तर की 13वें दौर की बैठक के बाद भारतीय सेना ने सोमवार को कहा था कि उसके द्वारा दिए गए ‘सकारात्मक सुझावों’ पर चीनी सेना सहमत नहीं हुई और ना ही बीजिंग ने आगे बढ़ने की दिशा में कोई प्रस्ताव दिया. भारतीय सेना ने कहा कि वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने इस बात का उल्लेख किया कि एलएसी पर जो हालात बने, वे यथास्थिति को बदलने के चीन के ‘एकतरफा प्रयासों’ के कारण पैदा हुए हैं और यह द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन भी करते हैं.

इससे पहले, भारत और चीन के बीच 31 जुलाई को 12वें दौर की वार्ता हुई थी. कुछ दिन बाद, दोनों देशों की सेनाओं ने गोगरा से अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी और इसे क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता की बहाली की दिशा में एक बड़ा और उल्लेखनीय कदम माना गया था. फरवरी में दोनों पक्षों ने सहमति के अनुरूप पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों और हथियारों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी. एलएसी पर संवेदनशील क्षेत्र में इस समय दोनों पक्ष के करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.

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