पूर्व कप्तान एमएस धोनी के खिलाफ लगाए गए आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के आरोप लगाने वालों के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मद्रास हाईकोर्ट ने धोनी द्वारा 10 साल पहले दायर मानहानि मुकदमे की सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया है। धोनी ने दो प्रमुख मीडिया संस्थानों, एक प्रसिद्ध पत्रकार और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी जी. संपत कुमार के खिलाफ 100 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की थी। आरोप है कि इन व्यक्तियों ने धोनी का नाम आईपीएल सट्टेबाजी विवाद में घसीटा था।

सोमवार को जस्टिस सी.वी. कार्तिकेयन ने एक अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया है जो चेन्नई में सभी पक्षों के लिए सुविधाजनक स्थान पर धोनी के सबूत दर्ज करेगा। धोनी की लोकप्रियता और सेलिब्रिटी होने के कारण अदालत में अव्यवस्था से बचने के लिए यह कदम उठाया गया है।

धोनी सुनवाई के दौरान मौजूद रहेंगे
धोनी ने एक हलफनामा दाखिल कर बताया कि वे 20 अक्टूबर से 10 दिसंबर 2025 के बीच जिरह के लिए उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने कहा है कि वे अधिवक्ता आयुक्त के साथ पूर्ण सहयोग करेंगे और मुकदमे से जुड़ी सभी आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन करेंगे। इस केस की सुनवाई में देरी का कारण पक्षकारों द्वारा विभिन्न राहत के लिए लगातार आवेदन दायर करना रहा। दिसंबर 2023 में रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी को अदालत ने आपराधिक अवमानना का दोषी करार देते हुए 15 दिन की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया।

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामला क्या है?
यह विवाद 2013 का है जिसमें खिलाड़ी जैसे श्रीसंत, अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण शामिल थे। चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक के दामाद और टीम प्रिंसिपल गुरुनाथ मयप्पन का भी नाम सामने आया था। इस मामले के कारण राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपरकिंग्स को दो साल के लिए आईपीएल से प्रतिबंधित कर दिया गया था।