पटना। बिहार में इस बार का विधानसभा चुनाव बेहद रोमांचक होने जा रहा है। पहले चरण के नामांकन की तारीख करीब आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों में खींचतान सामने आ रही है। महागठबंधन और एनडीए दोनों में कई सीटों पर आपसी सहमति नहीं बन पाई है, जिससे फ्रेंडली मुकाबले की संभावना बढ़ गई है।
महागठबंधन में तनाव:
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में कांग्रेस, वाम दल और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) शामिल हैं। कांग्रेस कम से कम 65 सीटों की मांग पर अड़ी हुई है, जबकि RJD 58 से ज्यादा सीटें देने के पक्ष में नहीं है। अभी तक RJD ने 71 उम्मीदवारों के नाम तय कर दिए हैं, वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने 18 और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने 6 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है।
महागठबंधन में सीटों को लेकर बने तनाव के बीच कुछ सीटों पर फ्रेंडली मुकाबले की संभावना है। संभावित सीटों में घोषी, मटिहानी, राजापाकड़, फुलवारी, कहलगांव, पालीगंज, मांझी, बछवाड़ा, तरारी और कुटुंबा शामिल हैं। इन सीटों पर महागठबंधन के घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतार सकते हैं।
एनडीए में भी टकराव:
सत्तारुढ़ एनडीए में भी सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। जेडीयू ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है, जिससे सोनबरसा, गायघाट, राजगीर और एकमा सीटों पर आपसी मुकाबले की संभावना बढ़ गई है। वहीं हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (सेकुलर) के नेता जीतन राम मांझी ने भी कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार का चुनाव न केवल गठबंधन के बीच बल्कि गठबंधन के भीतर भी कड़ी टक्कर का होगा। फ्रेंडली मुकाबलों के कारण कई सीटों पर मतदाता किसे समर्थन देंगे, यह चुनाव की दिशा तय करेगा।