पटना। बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में शनिवार को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों और अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में सत्तापक्ष और विपक्ष ने अपनी-अपनी मांगें और सुझाव प्रस्तुत किए।
जदयू सांसद संजय कुमार झा ने कहा कि उनकी पार्टी ने चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि बिहार में एक चरण में मतदान कराए जाएं। उनका कहना है कि बिहार में कानून-व्यवस्था अच्छी स्थिति में है और अगर महाराष्ट्र में एक चरण में चुनाव संभव हैं तो बिहार में क्यों नहीं। जेडी(यू) बिहार अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने भी इस सुझाव का समर्थन करते हुए कहा कि छठ पर्व के दौरान बाहर से आने वाले मतदाताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए चुनाव छठ के तुरंत बाद आयोजित किए जाने चाहिए।
वहीं बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने बताया कि चुनाव आयोग ने सभी दलों से अनुरोध किया है कि मतदान समाप्त होने के बाद पोलिंग एजेंट फॉर्म 17सी समय पर जमा करें। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग से पूछा गया कि चुनाव कब कराए जाने चाहिए, जिस पर उनका सुझाव था कि 28 दिन की घोषणा अवधि पूरी होते ही चुनाव तुरंत आयोजित किए जाएं।
चुनाव आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी, बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद गुंज्याल और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सभी 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे हैं।
चुनाव की तैयारियों की समीक्षा अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद की जा रही है। 30 सितंबर को जारी अंतिम सूची में कुल 7.42 करोड़ मतदाता शामिल हैं। इसमें मसौदा सूची से हटाए गए अपात्र मतदाताओं की संख्या 3.66 लाख और नए जोड़े गए पात्र मतदाताओं की संख्या 21.53 लाख है। आयोग ने बताया कि एसआईआर प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 और अपने आदर्श वाक्य के अनुसार पूरी की गई है।
राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो बिहार में मुख्य मुकाबला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए और आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच होने की संभावना है। वर्तमान विधानसभा में एनडीए के पास 131 सीटें हैं, जबकि महागठबंधन के पास 111 सीटें हैं। बाकी सीटें निर्दलीय और छोटे दलों के पास हैं।