राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के राबड़ी आवास से बाहर निकलने की घटना ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दे दिया है। इस मामले पर केंद्रीय मंत्री और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राजनीति एक बात है, लेकिन रोहिणी और उनकी बहनों के साथ हुई कार्रवाई मानवीय दृष्टिकोण से दुखद है।
मांझी ने आरोप लगाया कि पहले तेज प्रताप यादव को परिवार से बाहर निकाला गया और इसके बाद रोहिणी आचार्य को। उन्होंने कहा कि रोहिणी ने अपने पिता के इलाज के लिए अपनी किडनी भी दान की थी, लेकिन उन्हें अपमानित किया गया। मांझी ने इसे शर्मनाक बताया और कहा कि बिहार की जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
उन्होंने आगे कहा कि तेजस्वी यादव के निर्णय और उनके बयानों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही मांझी ने NDA की जीत की बधाई देते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और बिहार भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े से मुलाकात भी की।
रोहिणी के आरोप
14 नवंबर को बिहार चुनाव के परिणाम आने के बाद रोहिणी ने आरोप लगाया कि उन्हें गालियां दी गईं और चप्पल से पीटा गया। उन्होंने कहा कि उनके भाई तेजस्वी यादव और उनके सहयोगियों ने उन्हें अपमानित किया, यह कहते हुए कि उन्होंने लालू प्रसाद यादव को “गंदी किडनी” लगवाई और पैसे लिए। रोहिणी ने सोशल मीडिया पोस्ट में अपने दर्द को साझा करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें मायका छुड़वाया गया और उनके भाई संजय यादव पर तंज भी कसा।
रोहिणी ने लिखा कि उन्हें अपने परिवार और बच्चों के लिए जिम्मेदार होने के बावजूद किडनी दान का निर्णय व्यक्तिगत रूप से लेना पड़ा। इसके बाद 16 नवंबर को रोहिणी आचार्य और उनकी बहनें चंदा, रागिणी यादव समेत चारों बहनें राबड़ी आवास से बाहर निकल गईं। पटना एयरपोर्ट पर उन्होंने पत्रकारों को अपने साथ हुई आपबीती बताई।
इस घटना ने राजद परिवार में तनाव और सियासी बहस को बढ़ा दिया है। बिहार की राजनीति में यह मामला अभी भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है।