राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने शुक्रवार को ऐलान किया कि उनकी पार्टी अब बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। उन्होंने कहा कि महागठबंधन से समझौते की कोशिशें की गईं, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी। इसके बाद पार्टी ने पहले चरण की 33 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है, जिनमें छह महिलाएं भी शामिल हैं।
पारस ने कहा, “हमने 2005 में भी चुनाव अकेले लड़ा था और 29 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार भी हम पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं। हमारा संगठन पूरे बिहार में सक्रिय है और हमें भरोसा है कि पहले चरण के नतीजे हमारे पक्ष में रहेंगे।”
उन्होंने बताया कि पार्टी ने टिकट वितरण में बिहार के जातीय समीकरणों का पूरा ध्यान रखा है। दलित सेना के कार्यकर्ता और स्थानीय संगठन बूथ स्तर तक मजबूत किए गए हैं ताकि चुनाव में प्रभावी प्रदर्शन हो सके।
महागठबंधन पर साधा निशाना
पशुपति पारस ने सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि, “अब तक सीटों का बंटवारा तय नहीं हुआ, जिससे साफ है कि अंदरूनी मतभेद हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी मुकेश सहनी के साथ अन्याय हुआ है। हमारे साथ भी कुछ वैसा ही रवैया अपनाया गया, इसलिए हमने अलग राह चुनी।”
उन्होंने आगे कहा कि यह स्थिति सामाजिक न्याय की सरकार के गठन में बाधा डाल रही है।
“यह बिहार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस सामाजिक न्याय की सरकार की परिकल्पना थी, वह गठबंधन की असहमति में उलझकर रह गई है,” पारस ने कहा।
‘दोस्ताना संघर्ष’ पर भी बोले पारस
कई सीटों पर महागठबंधन के घटक दलों के आमने-सामने उतरने के सवाल पर पारस ने तंज कसा –
“जब आप गठबंधन की बात करते हैं और साथ ही दोस्ताना संघर्ष की भी, तो इसका मतलब यही है कि उम्मीदवार चयन में गंभीर त्रुटि हुई है। वैशाली और लालगंज जैसी सीटों पर यही स्थिति देखने को मिल रही है, जो गठबंधन के लिए शुभ संकेत नहीं है।”
अंत में पारस ने विश्वास जताया कि सभी वर्गों और समुदायों का समर्थन उन्हें मिलेगा और उनकी पार्टी मजबूत प्रदर्शन करेगी।