जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बुधवार को ऐलान किया कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में स्वयं उम्मीदवार नहीं बनेंगे। उन्होंने बताया कि यह फैसला पार्टी के व्यापक हित में लिया गया है। प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर जन सुराज पार्टी चुनाव जीतती है, तो इसका असर केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की दिशा पर भी असर पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि राघोपुर सीट पर तेजस्वी यादव के खिलाफ पार्टी ने किसी अन्य उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। प्रशांत किशोर के अनुसार, अगर वह स्वयं चुनाव लड़ते तो पार्टी के जरूरी संगठनात्मक कार्य प्रभावित होते।
भू-माफिया और भ्रष्टाचार से मुक्ति के बड़े वादे
प्रशांत किशोर ने कहा कि उनकी पार्टी बिहार को भू-माफिया, बालू माफिया और अन्य अवैध तत्वों से मुक्त करने का संकल्प रखती है। इसके तहत पार्टी ने छह बड़े वादे किए हैं, जिनमें फर्जी शराबबंदी नीति को समाप्त करना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि सरकार बनने के एक महीने के भीतर 100 सबसे भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों की पहचान करने वाला कानून लाया जाएगा। इन पर मुकदमा चलाया जाएगा और उनकी अवैध संपत्ति जब्त कर राज्य के विकास में इस्तेमाल की जाएगी।
“हम या तो भारी जीतेंगे या पूरी तरह हारेंगे”
अपने चुनावी दावों को लेकर प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कहा कि पार्टी या तो भारी जीत दर्ज करेगी या पूरी तरह हार जाएगी। उन्होंने कहा कि उन्हें या तो 10 से कम सीटें मिलेंगी या 150 से अधिक। बीच का कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि त्रिशंकु विधानसभा का कोई सवाल ही नहीं है। अगर जन सुराज को 120-130 सीटें भी मिलती हैं, तो वह उनके अनुसार हार होगी। अच्छे प्रदर्शन की स्थिति में पार्टी बिहार को देश के 10 सबसे विकसित राज्यों में शामिल करने का जनादेश हासिल करेगी।
एनडीए की हार तय, नीतीश कुमार की वापसी मुश्किल
प्रशांत किशोर ने बिहार में सत्ताधारी एनडीए की हार तय होने का दावा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब सत्ता में वापस नहीं लौटेंगे। उन्होंने बताया कि भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन की सीटों और उम्मीदवारों को लेकर असमंजस उनकी स्थिति को कमजोर कर रहा है। पिछली विधानसभा चुनाव में भी चिराग पासवान की बगावत और जदयू के कई उम्मीदवारों की हार ने इस गठबंधन की स्थिति को प्रभावित किया था।