केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर और अबूझमाड़ के दुर्गम इलाकों को नक्सल मुक्त क्षेत्र घोषित किया। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि सुरक्षा बलों के अथक प्रयास और सरकार की ठोस रणनीति का परिणाम है। शाह ने बताया कि इस अभियान के दौरान 170 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया, जो इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

गृह मंत्री ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का स्वागत करते हुए कहा, “उन्होंने हिंसा छोड़कर भारत के संविधान पर भरोसा जताया है। यह कदम साहसिक और सराहनीय है।” शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए बताया कि दो दिनों में कुल 258 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें 170 छत्तीसगढ़ से, 27 अन्य राज्यों से और 61 महाराष्ट्र से हैं।

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की नीति स्पष्ट है — जो आत्मसमर्पण करेगा, उसका स्वागत है; लेकिन जो हथियार उठाए रखेगा, उसे सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई झेलनी होगी। उन्होंने यह भी बताया कि अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर पूरी तरह नक्सल मुक्त घोषित किए जा चुके हैं, जबकि दक्षिण बस्तर के कुछ क्षेत्रों में अभियान जारी है।

शाह ने कहा कि जनवरी 2024 में भाजपा सरकार बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में 2,100 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं, 1,785 को गिरफ्तार किया गया है और 477 को मार गिराया गया है। उन्होंने विश्वास जताया कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा।


विदेशों में छिपे अपराधियों पर भी कसा जाएगा शिकंजा

गृह मंत्री ने गुरुवार को सीबीआई के एक सम्मेलन में यह भी घोषणा की कि विदेशों में छिपे भगोड़े अपराधियों की वापसी (प्रत्यर्पण) की प्रक्रिया को तेज करने के लिए हर राज्य में अंतरराष्ट्रीय मानकों वाली विशेष जेलें बनाई जाएंगी।

शाह ने कहा कि कई अपराधी, जैसे विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी, विदेशी अदालतों में यह दलील देते हैं कि भारतीय जेलें अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी नहीं उतरतीं। उन्होंने कहा, “यह तर्क चाहे बहाना हो, लेकिन हमें ऐसा कोई आधार नहीं देना चाहिए जिससे भारत की कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठें।”

इसके साथ ही शाह ने निर्देश दिया कि जिन अपराधियों के खिलाफ इंटरपोल की रेड नोटिस जारी है, उनके पासपोर्ट तुरंत रद्द किए जाएं, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र रूप से यात्रा न कर सकें।

गृह मंत्री के अनुसार, फिलहाल भारत के 338 प्रत्यर्पण अनुरोध दुनिया के विभिन्न देशों में लंबित हैं। ये मामले आर्थिक अपराध, आतंकवाद और ड्रग तस्करी जैसे गंभीर अपराधों से जुड़े हैं।