महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर उठे विवाद पर राज्य सरकार ने अपने पुराने दोनों आदेश रद्द कर दिए हैं। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 5 तक) में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाए या नहीं, इस पर विचार के लिए एक नई समिति गठित की जाएगी।
हालांकि, इस निर्णय को शिवसेना (उद्धव गुट) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अपनी संयुक्त जीत के रूप में देख रही हैं। दोनों ठाकरे भाइयों का कहना है कि मराठी जनता की एकजुटता के सामने सरकार को झुकना पड़ा। इसी के उपलक्ष्य में ‘विजय दिवस’ आयोजित किया जाएगा।
लंबे समय बाद एक मंच पर आएंगे ठाकरे बंधु
सूत्रों के अनुसार, यह ‘विजय दिवस’ 5 जुलाई को मनाया जाएगा, जिसमें उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे वर्षों बाद एक ही मंच पर नजर आएंगे। आयोजन स्थल के तौर पर पहले शिवाजी पार्क और गिरगांव चौपाटी पर चर्चा थी, लेकिन अब वर्ली डोम का चयन लगभग तय माना जा रहा है।
इस आयोजन को लेकर शिवसेना और मनसे नेताओं के बीच लगातार बैठकें हो रही हैं। हाल ही में शिवसेना के संजय राउत, अनिल परब व अन्य नेताओं ने मनसे के बाला नांदगांवकर और अभिजीत पानसे के साथ करीब 40 मिनट की अहम बातचीत की।
आयोजन का स्वरूप और उद्देश्य
इस विजय दिवस को मराठी अस्मिता और भाषा सम्मान की जीत के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। दोनों दलों के बीच यह सहमति बनी है कि कार्यक्रम का उद्देश्य केवल सांस्कृतिक रहेगा, इसमें कोई राजनीतिक बैनर या पार्टी एजेंडा शामिल नहीं होगा। यह केवल मराठी भाषा और उसके सम्मान के लिए समर्पित आयोजन होगा।
विपक्ष का हमला
बीजेपी नेता व पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने ठाकरे भाइयों पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि आज उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे को भाईचारे की दुहाई दे रहे हैं, लेकिन यह वही उद्धव हैं जिन्होंने कभी राज को अपमानित कर पार्टी छोड़ने पर मजबूर किया था। उन्होंने कहा कि आज की शिवसेना की गिरावट के लिए पूरी तरह उद्धव ठाकरे ही जिम्मेदार हैं, जिन्होंने बालासाहेब ठाकरे की बनाई राजनीतिक विरासत को खो दिया।
राणे ने कहा कि मराठी समाज और हिंदू जनता ने पहले ही उद्धव को नकार दिया है। अब दोबारा वही स्थिति प्राप्त करना उनके बस की बात नहीं है। उनका यह भी कहना था कि जो चीज एक बार हाथ से निकल जाती है, वह लौटती नहीं।