पंजाब में संसदीय चुनाव में तीन सीटों पर जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी कुल 117 में से केवल 33 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल कर सकी। लोकसभा चुनाव में पार्टी का यह प्रदर्शन तब है, जब 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 117 में से 92 सीटें हासिल की थीं। कांग्रेस ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) और विपक्षी भाजपा और शिअद को बड़ा झटका दिया है। 

विधानसभावार पार्टियों के प्रदर्शन के विश्लेषण के अनुसार, आप केवल 33 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल कर सकी, जबकि कांग्रेस 37, भाजपा 23 और शिअद नौ पर आगे रही। खडूर साहिब के आठ विधानसभा क्षेत्रों और फरीदकोट सीट के सात विधानसभा क्षेत्रों में निर्दलीय उम्मीदवार कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह और सरबजीत सिंह खालसा ने बढ़त हासिल की। 

चुनाव प्रचार के दौरान, सीएम मान ने अपनी दो साल की सरकार के प्रदर्शन पर भरोसा किया था, क्योंकि उन्होंने मुफ्त 300 यूनिट बिजली, 43,000 सरकारी नौकरियां, मुफ्त चिकित्सा उपचार के साथ-साथ आम आदमी क्लीनिक में परीक्षण और दवाएं और 'स्कूल ऑफ एमिनेंस' खोलने पर जोर दिया था, लेकिन इन मुद्दों पर वोट नहीं पड़ा।

मंत्रियों व विधायकों के हलकों में भी पिछड़ी आप
कुछ कैबिनेट मंत्रियों के प्रतिनिधित्व वाले विधानसभा क्षेत्रों में भी आप पिछड़ गई। आप केवल तीन लोकसभा सीटें- होशियारपुर, आनंदपुर साहिब और संगरूर जीत सकी। मुख्यमंत्री भगवंत मान के राज्य के सभी 13 संसदीय क्षेत्रों को जीतने का दावा किया था। लोकसभा चुनाव के लिए पांच मंत्रियों सहित पंजाब के आठ मौजूदा विधायकों को मैदान में उतारा था। केवल एक मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ही संगरूर सीट से जीत दर्ज कर सके। 

भोआ विधानसभा क्षेत्र, जो गुरदासपुर संसदीय सीट का हिस्सा है, उसका प्रतिनिधित्व कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक करते हैं। वहां आप तीसरे स्थान पर रही। पंजाब के मंत्री बलकार सिंह के प्रतिनिधित्व वाले करतारपुर विधानसभा क्षेत्र में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस के बाद दूसरे स्थान पर रही। करतारपुर विधानसभा क्षेत्र जालंधर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। आप जंडियाला विधानसभा सीट से भी बढ़त हासिल करने में विफल रही, जिसका प्रतिनिधित्व उसके मंत्री हरभजन सिंह करते हैं। जंडियाला खडूर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है।

भाजपा सीट जीतने में नाकाम, लेकिन वोट शेयर दोगुना
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने बुधवार को मुख्यमंत्री मान से 2024 के लोकसभा चुनावों में आप की हार के बाद नैतिक आधार पर अपने पद से इस्तीफा देने को कहा था। आप ने पिछले संसदीय चुनावों में 7.38 प्रतिशत से बढ़कर 26.02 प्रतिशत वोट शेयर दर्ज किया है, जबकि कांग्रेस ने 26.30 प्रतिशत वोट शेयर दर्ज किया है। चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने वाली भाजपा का वोट शेयर दोगुना होकर 18.56 प्रतिशत हो गया और शिअद का वोट शेयर 13.42 प्रतिशत रहा।