पंजाब में पीआरटीसी और पनबस यूनियन ने हड़ताल कर चक्का जाम करने का एलान किया है। रोडवेज कर्मियों की यह हड़ताल तीन दिन (6,7,8 जनवरी) तक चलेगी। वहीं अब दूसरी तरफ प्रदेश में लोगों को सरकारी अस्पतालों में इलाज भी नहीं मिलेगा। क्योंकि राज्य के चिकित्सकों ने मांगों को लेकर ओपीडी बंद करने की चेतावनी दी है। अगर डॉक्टर हड़ताल पर जाएंगे तो इससे चिकित्सा व्यवस्था चरमरा सकती है। लोगों को इलाज के लिए धक्के खाने पड़ सकते हैं।
पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (पीसीएमएसए) ने मांगें पूरी न होने पर संघर्ष का बिगुल बजा दिया है। एसोसिएशन ने एलान किया है कि 20 जनवरी से वह सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी बंद करके प्रदर्शन करेंगे। इसे लेकर 12 जनवरी को मोगा में एसोसिएशन की गवर्निंग बॉडी की बैठक बुलाई गई है, जिसमें इस हड़ताल का पूरा कार्यक्रम जारी किया जाएगा। पदोन्नति व वेतन बढ़ोतरी को लेकर डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं।
इन मांगों पर बनी थी सहमति
एसोसिएशन के प्रधान अखिल सरीन ने बताया कि इससे पहले भी उन्होंने पूरे पंजाब में हड़ताल की थी। इसके बाद ही सीएम भगवंत मान के निर्देशों पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने उनके साथ बैठक की थी। बैठक में उनकी सभी मांगों पर सहमति बन गई थी। इसके बाद ही स्वास्थ्य मंत्री ने खुद बैठक में उनकी हड़ताल समाप्त करते हुए एलान किया था कि सरकार की तरफ से डॉक्टरों की सभी प्रमुख मांगों को पूरा किया जाएगा। इसमें वेतन बढ़ोतरी, पदोन्नति और 24 घंटे सुरक्षा के उचित प्रबंध का इंतजाम करना शामिल था।
आश्वासन के बाद भी पूरी नहीं की मांगें
उन्होंने बताया कि 12 सप्ताह के अंदर उनकी इन मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब 14 सप्ताह बीतने के बावजूद मांगें पूरी नहीं हुई हैं। सरकार की तरफ से हाल ही में की गई भर्ती के बाद 54 प्रतिशत विशेषज्ञ और 43 प्रतिशत मेडिकल अफसरों की कमी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था का आगे क्या हाल होगा।