अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जियारत करवाने वाले खादिमों के लिए लाइसेंस अनिवार्य करने के दरगाह कमेटी के हालिया निर्णय ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। केंद्र सरकार और अदालत के निर्देशों के आधार पर शुरू की गई इस व्यवस्था का खादिम समुदाय ने कड़ा विरोध किया है।
अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने इस आदेश को “तुगलकी फरमान” बताते हुए घोषणा की कि खादिम समुदाय इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेगा।
दरगाह नाजिम मोहम्मद बिलाल खान ने 1 दिसंबर को विज्ञापन जारी कर लाइसेंस के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी। आवेदन की अंतिम तिथि 5 जनवरी 2026 तय की गई है। नाजिम का कहना है कि यह व्यवस्था अदालत के निर्देशों और प्रशासनिक नियमों के अनुरूप है और इससे किसी के अधिकारों का हनन नहीं होगा। हालांकि आदेश जारी होने के बाद से ही दरगाह परिसर में विरोध की लहर दौड़ गई है।
खादिम समुदाय की बैठक में सरवर चिश्ती ने नाजिम पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि नाजिम की नियुक्ति को लेकर ही सवाल हैं और दरगाह कमेटी की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में है। चिश्ती ने आरोप लगाया कि बिना संवाद और सहमति के आदेश लागू कर खादिम समाज को अपमानित करने की कोशिश की गई है।
उन्होंने कहा, “नियमों में गरीब खादिमों के लिए मेंटेनेंस की व्यवस्था सुनिश्चित करने का स्पष्ट प्रावधान है, लेकिन कमेटी ने कभी इस दिशा में कदम नहीं उठाया। एक साल से चाबियों का रजिस्टर गायब है और मनमानी चल रही है।”
चिश्ती ने चेतावनी दी कि यदि समुदाय साथ खड़ा हो गया तो हजारों खादिम दरगाह परिसर में जमा हो जाएंगे। “हमारे लाखों अनुयायी हैं, हमारी सहनशीलता को कमजोरी न समझा जाए,” उन्होंने कहा।
खादिम पक्ष का आरोप है कि हर साल उर्स से पहले जानबूझकर ऐसे निर्णय लिए जाते हैं ताकि तैयारियों में बाधा आए। इस बीच कलेक्टर लोकबंधु, एसपी वंदिता राणा सहित अन्य अधिकारियों ने उर्स व्यवस्थाओं का जायजा लेने के दौरान खादिमों की शिकायतें भी सुनीं।
चिश्ती ने प्रशासन से नाजिम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि मंत्रालय से लेकर नियमों तक कहीं भी लाइसेंस व्यवस्था का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, फिर भी कमेटी मनमाने आदेश जारी कर रही है।
उर्स से पहले पैदा हुआ यह विवाद अब बड़ा मुद्दा बन चुका है। अब नजरें प्रशासन पर हैं कि वह इस टकराव को कैसे सुलझाता है और क्या खादिम समुदाय की आपत्तियों पर कोई पहल होती है।