नई दिल्ली। भारतीय सेना को अमेरिका से खरीदे गए एएच-64ई अपाचे हमलावर हेलीकॉप्टरों की अंतिम खेप मिल गई है। शेष तीन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के साथ ही सेना को कुल छह अपाचे हेलीकॉप्टर प्राप्त हो चुके हैं। इन्हें जल्द ही जोधपुर स्थित 451 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन में शामिल किया जाएगा। इन अत्याधुनिक हेलीकॉप्टरों की तैनाती से पश्चिमी सीमा पर सेना की युद्धक क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।

पाकिस्तान सीमा के नजदीक तैनात किए जाने वाले ये अपाचे हेलीकॉप्टर विशेष रूप से रेगिस्तानी और चुनौतीपूर्ण इलाकों में संचालन के लिए तैयार किए गए हैं। नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने भारतीय सेना को अंतिम बैच की डिलीवरी पर संतोष जताते हुए कहा कि यह भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग की मजबूती का प्रतीक है।

भारतीय वायुसेना पहले ही 22 अपाचे हेलीकॉप्टरों का संचालन कर रही है, जिनकी तैनाती लद्दाख और पश्चिमी क्षेत्रों में की गई है। हालांकि सेना के लिए निर्धारित हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति में कुछ देरी हुई थी। इनका पहला बैच फरवरी-मार्च में आने वाला था, लेकिन तीन हेलीकॉप्टर जुलाई में पहुंचे थे, जबकि शेष अब भारत पहुंचे हैं।

सेना लगातार अपनी हवाई आक्रमण क्षमता को मजबूत कर रही है। इसके तहत 90 स्वदेशी हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ को भी शामिल किया जाना है। इसके अलावा सेना विमानन कोर उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर ‘रुद्र’ का भी संचालन कर रहा है, जो निगरानी, टोही और हथियार प्रणालियों से लैस हैं। सेना के अनुसार, इन प्लेटफॉर्म्स से आक्रमण और खुफिया क्षमताओं में बड़ा इजाफा होगा।

नौसेना में शामिल हुआ ‘ओस्प्रे’ स्क्वाड्रन
इसी बीच गोवा स्थित आईएनएस हंसा नौसैनिक अड्डे पर एमएच-60आर (रोमियो) पनडुब्बी रोधी हेलीकॉप्टरों का दूसरा स्क्वाड्रन आईएनएएस-335 ‘ओस्प्रे’ औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल किया गया। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने इस अवसर पर समुद्री सुरक्षा को राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए आवश्यक बताया।

अपाचे सौदे की पृष्ठभूमि
भारत और अमेरिका के बीच अपाचे हेलीकॉप्टरों की डील की शुरुआत 2015 में हुई थी, जब वायुसेना के लिए 22 हेलीकॉप्टर खरीदे गए। इसके बाद 2020 में सेना के लिए छह अपाचे हेलीकॉप्टरों का करार हुआ। यह सौदा दोनों देशों की रक्षा साझेदारी का अहम हिस्सा माना जा रहा है।

रणनीतिक बढ़त और तकनीकी खूबियां
एएच-64ई अपाचे अत्याधुनिक हमला हेलीकॉप्टर है, जो दुश्मन के बंकरों, ठिकानों और एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट करने में सक्षम है। इसमें हेलफायर मिसाइल, हाइड्रा रॉकेट, स्टिंगर मिसाइल और 30 मिमी चेन गन जैसी शक्तिशाली हथियार प्रणालियां लगी हैं। लांगबो फायर कंट्रोल रडार और 360 डिग्री निगरानी क्षमता इसे दुनिया के सबसे घातक हेलीकॉप्टरों में शामिल करती है।

सेना का मानना है कि इन हेलीकॉप्टरों के शामिल होने से स्वतंत्र हवाई समर्थन क्षमता मजबूत होगी और आधुनिक युद्ध परिस्थितियों में ऑपरेशनल बढ़त मिलेगी।