यूपी के कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने राजनीतिक गलियारों में अपने तेवरों से हलचल मचा दी है। उन्होंने साफ कहा कि यदि भाजपा को उनके दल से लाभ नहीं है तो गठबंधन तोड़ सकती है, लेकिन छोटे नेताओं के जरिए पार्टी की बेइज्जती नहीं कराई जानी चाहिए। उनके मुताबिक, भाजपा में कुछ आयातित नेता अपनी बड़बोलेपन की वजह से पार्टी को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
गोरखपुर के एनेक्सी भवन में मंगलवार को आयोजित सभा में डॉ. संजय निषाद ने भाजपा के कुछ नेताओं के बयानों पर नाराजगी जताई और पूर्व राज्यसभा सांसद पर भी अप्रत्यक्ष रूप से हमला किया। उन्होंने कहा कि भाजपा को 2018 की जीत याद रखनी चाहिए, जब सपा और बसपा एक होकर चुनाव लड़ी थीं और निषाद पार्टी के समर्थन से भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की थी।
डा. संजय निषाद ने कहा कि उनका दल परिवारवाद से दूर है और अपने बेटे को भी पद से हटा दिया गया। उन्होंने आगामी 31 अगस्त को जनजाति दिवस मनाने की घोषणा की। उन्होंने पूर्व राज्यसभा सांसद जयप्रकाश निषाद पर निशाना साधते हुए कहा कि वे निषादों को भाजपा से टिकट दिलाने का दावा करते हैं, जबकि उनके अपने टिकट का निर्णय पार्टी में तय नहीं है।
डॉ. संजय निषाद ने निषाद आरक्षण के लिए 2013 से संघर्ष किया है और 75 जिलों में आंदोलन चलाया। उनका कहना है कि अन्य पिछड़ों की तुलना में निषाद समाज को अभी तक पर्याप्त मान्यता नहीं मिली है।
भविष्य की योजनाओं के बारे में उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी भाग लेगी और वहां संगठन को मजबूत किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने अपने 10वें स्थापना दिवस के अधिवेशन का जिक्र किया, जिसमें निषाद आरक्षण का मुद्दा जोरशोर से उठाया गया और पार्टी ने अपनी एकजुटता दिखाई। इस अवसर पर डॉ. संजय निषाद ने अपने विधायक बेटे सरवन निषाद को प्रदेश प्रभारी पद से हटाने का भी ऐलान किया।