प्रयागराज। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने माफिया मुख्तार अंसारी और उनके करीबी सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अब 2.03 करोड़ रुपये की छह और संपत्तियां जब्त की गई हैं। ये प्रॉपर्टीज़ मुख्तार अंसारी के सहयोगी शादाब अहमद और उनकी पत्नी के नाम पर दर्ज हैं। ईडी की टीम बाकी संपत्तियों की जांच भी कर रही है।

जानकारी के मुताबिक, मुख्तार अंसारी समेत अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के दौरान पता चला कि शादाब अहमद ने भी अवैध रूप से अर्जित धन प्राप्त किया है। शादाब ने मुख्तार अंसारी की फर्म, मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन, गाजीपुर के जरिए धोखाधड़ी की। अक्टूबर 2025 में ईडी ने लुकआउट सर्कुलर के आधार पर शादाब को शारजाह से लखनऊ लाया और हिरासत में लिया। इसके बाद लखनऊ के विशेष न्यायाधीश (पीएमएलए/सीबीआई) ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा।

ईडी ने हिरासत में पूछताछ के दौरान शादाब की अचल संपत्तियों का पता लगाया और उन्हें जब्त किया। जांच में यह भी सामने आया कि विकास कंस्ट्रक्शन कंपनी ने मऊ जिले के रैनी गांव में सरकारी जमीन पर अवैध गोदाम बनाया और गाजीपुर में भी अन्य निर्माण किए। इन गोदामों को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को पट्टे पर देकर किराये की आय और नाबार्ड सब्सिडी के माध्यम से अवैध धन कमाया गया। अब तक कुल पहचाने गए अवैध धन (POC) की राशि लगभग 27.72 करोड़ रुपये है।

ईडी के मुताबिक, शादाब अहमद 2022 से फरार था। हिरासत में पूछताछ में पता चला कि उसने लगभग 10 करोड़ रुपये की अवैध आय की हेराफेरी की। वह मेसर्स आगाज़ प्रोजेक्ट एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स इनिज़ियो नेटवर्क सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक और अधिकृत वित्तीय संचालक रहा। इन कंपनियों के माध्यम से अवैध धन को वैध व्यावसायिक लेन-देन की आड़ में स्थानांतरित किया गया।

शादाब ने अवैध आय की हेराफेरी के बदले वेतन के रूप में 1.91 करोड़ रुपये और असुरक्षित ऋण के रूप में 74 लाख रुपये प्राप्त किए, जिनका इस्तेमाल कुर्क की गई संपत्तियों की खरीद में किया गया। यह ईडी का चौथा कुर्की आदेश है और अब तक कुल 8.43 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। जांच जारी है।