कानपुर। पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने गुरुवार को ‘ऑपरेशन महाकाल’ में अधिवक्ता अखिलेश दुबे के खिलाफ दर्ज 47 शिकायतों की जांच पूरी कर ली है। पुलिस आयुक्त रघुबीर लाल ने बताया कि इनमें से 37 शिकायतें पूरी तरह फर्जी पाई गईं, जबकि 10 शिकायतों में कुछ साक्ष्य मिले हैं और उन मामलों की पुन: जांच का आदेश दिया गया है। इन 10 शिकायतों में छह सीधे अखिलेश दुबे के खिलाफ थीं और चार में उनके सहयोगियों पर आरोप लगाए गए थे।
बताया गया कि बर्रा के जूही कलां निवासी भाजपा नेता रवि सतीजा ने अखिलेश दुबे और उनके सहयोगी लवी मिश्रा पर झूठे मुकदमे दर्ज कराकर 50 लाख रुपये की रंगदारी की मांग का आरोप लगाया था। जांच में एसआईटी ने पाया कि कुछ आरोप सही थे, जिसके बाद अगस्त में अखिलेश और लवी को जेल भेजा गया था।
इसके बाद तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने ‘ऑपरेशन महाकाल’ अभियान शुरू किया, जिसमें लोगों ने जमीन कब्जाने, रंगदारी मांगने और रुपये न मिलने पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराने की शिकायतें दर्ज कराई थीं।
37 शिकायतें फर्जी निकलीं
एसआईटी की जांच में कई शिकायतें पूरी तरह झूठी पाईं गईं। इनमें प्रमुख मामले हैं:
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जुगल किशोर भाटिया द्वारा संपत्ति कब्जाने का आरोप, जांच में मामला प्रशासनिक निकला।
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ललिता देवी की जमीन कब्जाने की शिकायत, विवाद पहले ही समाप्त हो चुका था।
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रीना यादव ने देह व्यापार का आरोप लगाया, जांच में मामला झूठा पाया गया।
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सुरेंद्र त्रिपाठी और अमर सिंह की जमीन कब्जाने की शिकायतों में कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले।
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रामलखन जायसवाल का मेडिकल स्टोर पर मारपीट का मामला पहले से दर्ज था।
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अशोक कुमार श्रीवास्तव और विजय कुमार के संपत्ति विवाद में पहले से मुकदमे दर्ज थे।
इसी तरह कई अन्य शिकायतें भी जांच में फर्जी या पहले से दर्ज मामलों से जुड़ी पाई गईं।
10 शिकायतों में मिले साक्ष्य, पुन: जांच जारी
एसआईटी ने बताया कि 10 शिकायतों में कुछ डिजिटल और भौतिक साक्ष्य मिले हैं। इनमें छह सीधे अखिलेश दुबे के खिलाफ हैं, जबकि चार में उनके सहयोगियों पर आरोप लगे हैं। पुलिस इन मामलों की गहन जांच कर रही है और आवश्यकतानुसार मुकदमे दर्ज किए जाएंगे।
पुलिस आयुक्त ने कहा कि कुछ शिकायतों में पहले ही न्यायालय में विचाराधीन मामले थे, जबकि कुछ में पुलिस की प्रारंभिक जांच में लापरवाही पाई गई। SIT इन मामलों को भी दुरुस्त कर रही है।