नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बहस की शुरुआत करते हुए इसे “ऐतिहासिक क्षण” करार दिया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम की भावना ने स्वतंत्र भारत के सपने को ऊर्जा दी और आने वाले समय में समृद्ध भारत के संकल्प को भी यही भावना आगे बढ़ाएगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश हर संकट के समय वंदे मातरम की प्रेरणा से एकजुट होता रहा है। उन्होंने आपातकाल का ज़िक्र करते हुए कहा कि उस दौर में संविधान पर हुए हमले के खिलाफ देश की एकता का आधार भी यही भावना थी। मोदी ने आगे कहा कि आजादी से लेकर युद्ध और आपातकाल तक, हर चुनौती में वंदे मातरम ने देश को मजबूती दी है।

पीएम मोदी के संबोधन के बाद कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अपनी बात रखी। इसके बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए सत्ता पक्ष पर टिप्पणी की। अखिलेश ने कहा कि वंदे मातरम ने देश को एक सूत्र में बांधा और आजादी की लड़ाई को दिशा दी, लेकिन सत्ता पक्ष हर चीज़ को अपना बताने की कोशिश करता है।

अखिलेश ने कहा कि वंदे मातरम केवल पढ़ने का विषय नहीं बल्कि आचरण का हिस्सा होना चाहिए। उनका कहना था कि जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका नहीं निभाई, वे इसके वास्तविक महत्व को कैसे समझ सकते हैं? उन्होंने कहा कि वंदे मातरम किसी दल की संपत्ति नहीं, बल्कि पूरे देश की प्रेरणा है।

प्रधानमंत्री ने चर्चा का समापन करते हुए कहा कि 2047 तक विकसित भारत बनाने के सपने को वंदे मातरम की भावना ही आगे ले जाएगी। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत का सपना हमारे महापुरुषों ने देखा था, और अब समृद्ध भारत का सपना वर्तमान पीढ़ी का संकल्प है।