उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के 17 नगर निकायों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि निकायों में काम कर रहे ऐसे सभी विदेशी नागरिकों की सूची तैयार कर उसे कमिश्नर और आईजी को सौंपा जाए।
सरकार ने पहले चरण में हर मंडल में डिटेंशन सेंटर स्थापित करने का आदेश दिया है। निर्देश मिलते ही जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी तैयारी में जुट गए हैं।
दिल्ली मॉडल पर तैयार होंगी सुविधाएं
राज्य में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को वापस भेजने तक रखने के लिए दिल्ली की तर्ज पर डिटेंशन सेंटर विकसित किए जाएंगे। शासन ने जिलों को ऐसे स्थान चिन्हित करने के आदेश दिए हैं जहाँ कड़े सुरक्षा प्रबंध के साथ घुसपैठियों को रखा जा सके। इसके लिए खाली सरकारी इमारतें, सामुदायिक भवन, पुलिस लाइन और थानों के परिसर की तलाश की जा रही है।
दिल्ली में इस समय करीब 18 डिटेंशन सेंटर चल रहे हैं, जहाँ लगभग 1,500 विदेशी नागरिक―जिनमें बांग्लादेशी, रोहिंग्या और अफ्रीकी देशों के लोग शामिल हैं—को रखा गया है। इन्हीं व्यवस्थाओं को आधार बनाकर यूपी अपने सेंटर तैयार करेगा।
खाने-पीने से लेकर मेडिकल सुविधा तक की व्यवस्था
सेंटरों में कैदियों के लिए भोजन, स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षा के इंतज़ाम किए जाएंगे। कई घुसपैठियों द्वारा भारतीय पहचान संबंधी दस्तावेज बनवाने के मामलों को देखते हुए व्यापक सत्यापन भी शुरू किया गया है।
सत्यापन के बाद विदेशी नागरिकों को एफआरआरओ के माध्यम से प्रत्यावर्तन (डिपोर्टेशन) की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। आम तौर पर पकड़े गए घुसपैठियों को बीएसएफ की मदद से पश्चिम बंगाल या असम बार्डर से वापस भेजा जाता है।
गृह मंत्रालय ने भेजी SOP, यूपी करेगा लागू
केंद्रीय गृह मंत्रालय पहले ही राज्यों को डिटेंशन सेंटरों के संचालन की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) भेज चुका है। अब यूपी भी उसी मॉडल पर सेंटर बनाने जा रहा है। सेंटरों की सुरक्षा और प्रबंधन की जिम्मेदारी जिला प्रशासन व पुलिस के पास होगी। इसके अतिरिक्त, पकड़े गए हर घुसपैठिए का विवरण प्रतिदिन गृह विभाग को भेजना अनिवार्य होगा।