शहर की जाम भरी सड़कों में ऑटोमैटिक कार चलाना आरामदायक जरूर है, लेकिन इसके ट्रांसमिशन सिस्टम को बनाए रखना बेहद संवेदनशील काम है। थोड़ी सी लापरवाही या गलत ड्राइविंग आदतें लंबे समय में महंगे रिपेयर की नौबत ला सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ड्राइवर अक्सर अनजाने में ऐसी गलतियां कर देते हैं, जो ट्रांसमिशन की उम्र घटा देती हैं।
ओवरहीटिंग पर नजर रखें
ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन सामान्यत: 93 से 95 डिग्री सेल्सियस तापमान पर सही तरीके से काम करता है। इस सीमा से ऊपर गर्म होने पर गियर और बेयरिंग्स को नुकसान पहुंच सकता है। लंबे समय तक हाई-स्पीड ड्राइविंग, फ्लूड लीक या अत्यधिक गर्मी से ट्रांसमिशन जल्दी खराब हो सकता है।
ट्रांसमिशन फ्लूड का महत्व
ट्रांसमिशन फ्लूड सिस्टम के हिस्सों को चिकनाई और ठंडक प्रदान करता है। फ्लूड कम होने पर पार्ट्स रगड़ खाने लगते हैं, जिससे मैकेनिकल खराबी का खतरा बढ़ जाता है। फ्लूड का समय पर स्तर जांचना और जरूरत पड़ने पर भरवाना जरूरी है।
फ्लूड बदलने में लापरवाही न करें
पुराना या सही अंतराल पर नहीं बदला गया फ्लूड गियर शिफ्टिंग में देरी, स्लिपिंग और अंदरूनी घिसावट बढ़ा सकता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि फ्लूड 40,000 से 60,000 किलोमीटर के अंतराल में बदलें, लेकिन कार मैनुअल के अनुसार इसे चेक करना बेहतर है।
गलत फ्लूड का इस्तेमाल हानिकारक
हर ऑटोमैटिक कार खास फ्लूड के लिए डिज़ाइन की गई है। गलत फ्लूड या मिश्रित फ्लूड का उपयोग सील और क्लच को नुकसान पहुंचा सकता है और गियर शिफ्टिंग प्रभावित होती है।
गलत ड्राइविंग आदतें
हर सिग्नल पर अचानक एक्सीलरेशन, बिना रुकें गियर बदलना और ढलान पर सिर्फ 'पार्क' मोड का इस्तेमाल करना ट्रांसमिशन के लिए हानिकारक हैं। इससे अंदरूनी हिस्से जल्दी खराब हो सकते हैं।
टोइंग के दौरान सावधानी
गलत तरीके से गाड़ी टो करना या फंसी कार को तेजी से रिवर्स और ड्राइव में बदलना क्लच और सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है। निर्माता द्वारा बताए गए नियमों का पालन करना ही सुरक्षित तरीका है।
निष्कर्ष
ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन की लंबी उम्र के लिए नियमित मेंटेनेंस और सही ड्राइविंग आदतें बेहद जरूरी हैं। थोड़ी सावधानी से आप महंगे रिपेयर से बच सकते हैं और अपनी कार की परफॉर्मेंस लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं।