वृंदावन में बांके बिहारी कॉरिडोर परियोजना के लिए 510 करोड़ रुपये देने का शपथपत्र दाखिल कर सुर्खियों में आए बिल्डर प्रखर गर्ग को उनकी पत्नी राखी गर्ग समेत पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। 1.54 करोड़ रुपये के चेक बाउंस प्रकरण में कोर्ट से जारी गैर-जमानती वारंट पर यह कार्रवाई की गई। दोनों को बुधवार को जयपुर से पकड़ा गया और अदालत में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। पुलिस के अनुसार, आरोपी दंपती पर हरीपर्वत और कमला नगर थानों में धोखाधड़ी से जुड़े चार मुकदमे दर्ज हैं, जबकि चेक बाउंस के दो दर्जन से अधिक मामले लंबित हैं जिनमें करोड़ों की धोखाधड़ी के आरोप शामिल हैं।
करीब ढाई वर्ष पहले भी प्रखर गर्ग को इसी तरह चेक बाउंस के मामले में गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2022 में जेल भेजे जाने के बाद भी उनके खिलाफ कई नए प्रकरण सामने आए। अक्टूबर 2024 में हरीपर्वत और कमला नगर थानों में धोखाधड़ी के मुकदमे दर्ज हुए। वहीं, 2023 में बैटरी कारोबारी अरुण सोंधी ने 1.54 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था।
डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि 2019 से 2023 के बीच प्रखर गर्ग के खिलाफ एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत 21 मामले दर्ज हुए हैं। आरोप है कि वह संपत्ति खरीद-बिक्री के नाम पर लोगों से रकम लेते और बाद में चेक थमाते, जो बैंक में लगने पर बाउंस हो जाते। इस सिलसिले में पीड़ितों ने अदालत का सहारा लिया। जनवरी में पुलिस ने उनके आवास पर नोटिस चस्पा करने के साथ मुनादी भी कराई थी।
गौरतलब है कि प्रखर गर्ग ने अक्टूबर 2023 में हाईकोर्ट में 510 करोड़ रुपये बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए देने का प्रस्ताव रखा था, जिससे वे चर्चा में आए। मगर पुलिस जांच में उनके खिलाफ धोखाधड़ी और चेक बाउंस के कई मामले दर्ज पाए गए। दिसंबर 2024 में ईडी ने भी उनके आवास पर छापा डाला था।
अरुण सोंधी का कहना है कि उन्होंने वर्ष 2019 में प्रखर गर्ग को एक संपत्ति बेची थी। इसके एवज में मिले 1.54 करोड़ रुपये के चेक बैंक में प्रस्तुत करने पर बाउंस हो गए। चार साल तक भुगतान न मिलने के बाद उन्होंने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया, जिसमें 9 करोड़ रुपये हड़पने का आरोप भी लगाया गया। इस मामले में प्रखर गर्ग की पत्नी राखी सहित कई अन्य लोग भी नामजद हैं।
कमला नगर थाने में भी प्रखर गर्ग और उनकी पत्नी पर संपत्ति सौदों के नाम पर रकम हड़पने के आरोप में दो मुकदमे दर्ज हैं। एक शिकायत सुभाष शर्मा ने दिसंबर 2023 में दर्ज कराई थी, जबकि दूसरी रिपोर्ट योगेश अग्रवाल ने सितंबर 2024 में लिखाई थी। दोनों मामलों में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है।
पुलिस का कहना है कि आरोपी दंपती लंबे समय से अदालत में पेश नहीं हो रहे थे। 20 अगस्त को उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद कार्रवाई तेज हुई और आखिरकार जयपुर से गिरफ्तार कर लिया गया। अदालत के आदेश पर दोनों को जेल भेज दिया गया है।