हाईवे पर शुरू होगा नया टोल सिस्टम, गडकरी ने बताया लॉन्च का टाइम

टोल प्लाजा पर लंबी लाइन और फास्टैग से कटने वाला चालान जल्द ही इतिहास बन जाएगा. अब बहुत जल्द भारत सरकार सेटेलाइट से टोल काटने वाली टेक्नोलॉजी लागू करने जा रही है. पुराना फास्टैग टोल कलेक्टिंग सिस्टम बहुत सारे विवादों से घिरा हुआ है और इसे रिप्लेस करने के लिए बहुत दिनों से तैयारी चल रही है. नई टेक्नोलॉजी को ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) कहा जाता है, यह मौजूदा फास्टैग की तुलना में तकनीकी रूप से बहुत ज्यादा एडवांस है.

सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है कि इस महीने के अंत तक GNSS टोल कलेक्टिंग सिस्टम शुरू हो जाएगा. कुछ दिन पहले नागपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि सड़क एवं परिवहन मंत्रालय (MoRTH) अगले 15 दिनों में नया टोल कलेक्टिंग सिस्टम शुरू कर देगा.

बड़ी कामयाबी हो सकता है ये सिस्टम

अगर इस सिस्टम को पूरे देश में लागू किया जाता है तो यह फास्टैग सिस्टम की तुलना में एक बड़ी कामयाबी हो सकती है. फास्टैग सिस्टम को टोल बूथों पर लंबी कतारों को कम करने के लिए लाया गया था. हालांकि, इसने वेटिंग समय को कम करने में मदद की है. फिर भी इसमें कुछ कमियां हैं. नई GNSS-बेस्ड सिस्टम को टोल बूथ स्टॉप को पूरी तरह से खत्म करने के लिए डिजाइन किया गया है. इससे यात्रा और भी तेज और आसान हो जाएगी.

इसलिए टाला गया प्लान

पहले उम्मीद की जा रही थी कि इस तकनीक को 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और इसके लागू करने में देर हो गई. केंद्र सरकार ने GNSS हाईवे टोल कलेक्टिंग सिस्टम को शुरू करने का फैसला टाल दिया था. रिपोर्टों से पता चला है कि अधिकारियों ने अधिक सटीक प्रणाली के लिए भारत के नेविगेशन उपग्रहों के अपने समूह को सक्रिय होने का इंतजार किया.

क्या होगा फायदा

GNSS सिस्टम का फायदा है कि यह सेटेलाइट के जरिए वाहनों को ट्रैक करने का काम करेगा. साथ ही वाहन मालिकों को उतना ही टोल देना होगा जितनी उसने हाईवे पर यात्रा की है. फिलहाल टोल बूथों से निकलने पर वाहनों को एक निश्चित शुल्क देना होता है. फिर चाहे वाहन ने कितनी भी दूरी तय की हो. GNSS इस मामले में फ्लेक्सिबल और फेयर है.

कई शहरों में चल रही टेस्टिंग

एक ओर यह टोल चोरी रोककर सरकार की मदद करेगा, दूसरी ओर टोल शुल्क की लागत कम करके वाहन मालिकों को भी राहत लेकर आएगा. शुरुआत में नया सिस्टम फास्टैग के साथ काम करेगी, जिसमें नई तकनीक के लिए चुनिंदा टोल लेन में सुधार किया जाएगा. जैसे-जैसे इसे अपनाया जाएगा, पूरे टोल प्लाजा को अपग्रेड किया जाएगा. कई जगह टेस्टिंग चल रही है.

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