नई दिल्ली। स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाने वाले सिगरेट, पान मसाला और अन्य तंबाकू उत्पादों की कीमतें भविष्य में बढ़ सकती हैं। केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में दो नए बिल पेश किए हैं — सेंट्रल एक्साइज (संशोधन) बिल 2025 और स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा सेस कानून — ताकि इन उत्पादों पर वर्तमान क्षतिपूर्ति सेस की जगह अधिक टैक्स लगाया जा सके।
राजस्व और सेस का बदलाव
वर्तमान में इन उत्पादों पर 28 प्रतिशत GST के साथ क्षतिपूर्ति सेस भी वसूला जा रहा है। यह सेस मार्च 2026 तक समाप्त होने वाली है। इसके बाद कानूनी तौर पर सरकार इसे वसूल नहीं पाएगी, जिससे राजस्व पर असर पड़ सकता है। नए कानून के तहत सिगरेट और पान मसाला के उत्पादन में शामिल मशीन और उपकरणों पर भी सेस लगाया जाएगा।
लोन की भरपाई और पिछले अनुभव
क्षतिपूर्ति सेस 2017 में शुरू किया गया था ताकि राज्यों को वित्तीय मदद दी जा सके। कोरोना काल में संग्रह कम होने से केंद्र ने राज्यों को लोन दिया। 2022 में सेस की अवधि समाप्त होने के बावजूद लोन की वजह से इसे जारी रखा गया। वर्तमान में सिर्फ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पादों पर ही सेस वसूला जा रहा है, और अगले साल मार्च में लोन समाप्त होने के बाद इसे बंद किया जाएगा।
नई टैक्स दरें
सिगार पर पुराने कानून के तहत 12 प्रतिशत या प्रति 1000 पीस 4006 रुपए टैक्स लगता था। नए प्रावधान के अनुसार यह बढ़कर 25 प्रतिशत या 5000 रुपए (जो अधिक हो) कर दिया जाएगा। 65 एमएम की सिगरेट पर टैक्स 440 रुपए से बढ़ाकर 3000 रुपए किया जाएगा। 65-70 एमएम फिल्टर सिगरेट पर प्रति 1000 पीस 5200 रुपए और 70 एमएम से बड़ी सिगरेट पर 7000 रुपए टैक्स लेने का प्रस्ताव है।
सरकार का उद्देश्य
एक्साइज संशोधन बिल और स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा सेस कानून लाने का मुख्य उद्देश्य है कि क्षतिपूर्ति सेस समाप्त होने के बाद इन उत्पादों पर टैक्स कम न हो और उनका सेवन कम करने के साथ-साथ सरकार को पर्याप्त राजस्व भी प्राप्त हो। नए कानून के तहत सेस अब उत्पादन की बजाय मशीन की क्षमता पर आधारित होगा। यदि किसी मशीन की क्षमता 100 यूनिट है और उत्पादन केवल 50 यूनिट है, तब भी सेस 100 यूनिट के आधार पर वसूला जाएगा।
राज्यों को भी होगा फायदा
नए एक्साइज ड्यूटी और सेस से केंद्र के राजस्व में वृद्धि होगी, जिसमें राज्यों का भी हिस्सा आएगा। GST स्लैब के तहत फिलहाल तंबाकू और पान मसाला पर 28 प्रतिशत टैक्स है, और इसे 40 प्रतिशत स्लैब में कब डाला जाएगा, इसका निर्णय GST काउंसिल की अध्यक्ष, वित्त मंत्री, लेंगी।