नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को अनुदान की पूरक मांगों पर चर्चा के दौरान सदन का माहौल काफी गरमाया रहा। बहस के बीच विपक्षी सांसदों की लगातार टोका-टाकी से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण असहज होती दिखीं और उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि तथ्य सामने रखना कोई नाटक नहीं है, सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता।

हंगामे की शुरुआत उस समय हुई, जब वित्त मंत्री ने यूपीए सरकार के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए तत्कालीन रक्षा मंत्री के एक पुराने बयान का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उस दौर में सेना के आधुनिकीकरण के लिए धन की कमी की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की गई थी। इस पर विपक्ष ने विरोध दर्ज कराया और उन्हें बोलने से रोकने की कोशिश की, लेकिन सीतारमण ने आक्रामक रुख अपनाते हुए पुरानी नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए। इससे सदन में शोर-शराबा और बढ़ गया।

अर्थव्यवस्था पहले से कहीं अधिक मजबूत: सीतारमण

पूरक मांगों पर बहस का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति का जोरदार बचाव किया। उन्होंने कहा कि आज की आर्थिक मजबूती पिछले एक दशक में किए गए सुधारों और नीतिगत फैसलों का नतीजा है। उनके अनुसार, देश की अर्थव्यवस्था की नींव अब पहले की तुलना में अधिक सुदृढ़ और व्यापक हो चुकी है।

वर्ष 2013 के हालात का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि उस समय वैश्विक चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था दबाव में थी और अस्थिरता का सामना कर रही थी। वहीं आज स्थिति बिल्कुल अलग है और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय लचीलापन देखने को मिल रहा है।

‘फ्रेजाइल फाइव’ से तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था तक

वित्त मंत्री ने इशारों में उस दौर को भी याद किया, जब भारत को ‘फ्रेजाइल फाइव’ अर्थव्यवस्थाओं में शामिल किया गया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत न केवल स्थिर है, बल्कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह बनाए हुए है।

बदला विकास का मॉडल

सीतारमण ने यह भी कहा कि पिछले दस वर्षों में देश का विकास मॉडल बदला है। अब विकास कुछ चुनिंदा क्षेत्रों या शहरों तक सीमित नहीं रहा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था, विनिर्माण, सेवा क्षेत्र और बुनियादी ढांचे—सभी क्षेत्रों का समान योगदान देश की प्रगति में दिखाई दे रहा है। उनके अनुसार, यही व्यापक और संतुलित विकास भारत की आर्थिक मजबूती की असली पहचान है।