भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक आज से शुरू हो गई। इस दौरान समिति के सदस्य ताज़ा जीडीपी अनुमान, महंगाई दर और अन्य आर्थिक संकेतकों का विश्लेषण करते हुए आगामी मौद्रिक रुख पर विस्तार से चर्चा करेंगे। बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा शुक्रवार सुबह 10 बजे नीतिगत फैसलों की घोषणा करेंगे।
अर्थव्यवस्था दिखा रही मजबूत रफ्तार
नीति बैठक ऐसे समय में हो रही है जब देश की आर्थिक वृद्धि तेज़ बनी हुई है और महंगाई लगातार नीचे आ रही है। चालू वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही, यानी जुलाई से सितंबर के बीच जीडीपी वृद्धि 8.2 फीसदी के प्रभावशाली स्तर पर पहुंची है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2025 में खुदरा महंगाई घटकर 0.25 प्रतिशत तक सिमट गई, जो हाल के वर्षों में सबसे निचला स्तर है।
रेपो दर स्थिर रहने के संकेत
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट का अनुमान है कि रिज़र्व बैंक इस बार भी रेपो दर में कोई बदलाव नहीं करेगा और इसे 5.50 प्रतिशत पर बरकरार रख सकता है। रिपोर्ट कहती है कि मौजूदा महंगाई स्तर आरबीआई के अनुमान से भी नीचे जा सकता है, लेकिन इसके बावजूद केंद्रीय बैंक नीतिगत सतर्कता बनाए रख सकता है।
ब्याज दरों पर विरोधाभासी संकेत
केयरएज रेटिंग्स के एमडी और ग्रुप सीईओ मेहुल पंड्या ने कहा कि मजबूत जीडीपी वृद्धि और ऐतिहासिक रूप से कम महंगाई, दोनों ही ब्याज दरों पर अलग-अलग संकेत देते हैं। उनके अनुसार, आमतौर पर केंद्रीय बैंक मज़बूत आर्थिक गतिविधियों के बीच दरें नहीं घटाते, जबकि कम महंगाई की स्थिति दर कटौती के पक्ष में रहती है। यही वजह है कि इस समय नीतिगत निर्णय काफी संतुलित और सतर्क दृष्टिकोण की मांग करता है।