डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया गुरुवार को एक बार फिर कमजोर हुआ और अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 91.50 के स्तर तक फिसल गया, जिससे इस साल अब तक करीब 5 रुपये यानी लगभग 6% की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। लगातार कमजोरी से संकेत मिल रहे हैं कि रुपया जल्द ही 91 के स्तर को भी पार कर सकता है, जिसकी आशंका विशेषज्ञ पहले से जता रहे थे।
रुपये की गिरावट का असर शेयर बाजार से लेकर आम निवेशकों तक दिखने लगा है। आयात महंगा होने के साथ-साथ आम लोगों की जेब पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर विदेशों में रहने वाले भारतीयों (NRI) के लिए यह स्थिति अवसर लेकर आई है। कमजोर रुपया एनआरआई को भारत में निवेश और रेमिटेंस दोनों मोर्चों पर अधिक फायदा दिलाता है।
रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर
Investing.com के अनुसार गुरुवार को रुपया 90.56 प्रति डॉलर तक जा पहुंचा, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। एक दिन पहले की तुलना में इसमें 40 पैसे और गिरावट आई। एशियाई मुद्राओं में रुपया इस समय सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाली करेंसी में शामिल है। पिछले वर्ष के अंतिम कारोबारी दिन यह 85.55 पर था, जबकि अब यह 90 के पार जा चुका है।
एक डॉलर खरीदने के लिए अब भारतीयों को 90 रुपये से अधिक चुकाने पड़ रहे हैं। कमजोर रुपया एनआरआई को कैसे फायदा पहुंचाता है?
1. निवेश पर बेहतर रिटर्न
रुपये कमजोर होने पर एनआरआई कम डॉलर खर्च कर भारत में अधिक निवेश कर सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर, दिसंबर 2024 में जब रुपया 85 प्रति डॉलर था, तब 10 लाख रुपये निवेश करने के लिए करीब 11,765 डॉलर खर्च होते थे। मौजूदा रेट 90 रुपये होने पर उसी निवेश के लिए 11,739 डॉलर ही देने होंगे। इससे एनआरआई को सीधे तौर पर लगभग 60 हजार रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलता है।
2. NRE Fixed Deposit पर बढ़ता लाभ
NRE एफडी पर ब्याज टैक्स-फ्री होता है, लेकिन वास्तविक रिटर्न रुपये के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है।
यदि एफडी अवधि में रुपये में गिरावट होती है, तो विदेशी मुद्रा में मिलने वाला रिटर्न और ज्यादा हो जाता है।
3. शेयर व म्यूचुअल फंड में फायदा
इक्विटी बाजार में निवेश करते समय कमजोर रुपया रिपैट्रिएबल वैल्यू बढ़ा देता है।
भारत में निवेश करके जब एनआरआई रकम को अपने देश की मुद्रा में बदलते हैं, तो उन्हें ज्यादा डॉलर मिलते हैं। इसलिए बाजार विशेषज्ञ एनआरआई निवेश से पहले डॉलर–रुपया रुझानों पर खास नजर रखते हैं।
4. रियल एस्टेट में लाभ
प्रॉपर्टी की कीमतें सीधा डॉलर–रुपया पर निर्भर नहीं करतीं, लेकिन अंतिम रिटर्न में फर्क पड़ता है।
उदाहरण के लिए, 1.5 करोड़ की किसी संपत्ति के लिए
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जब रुपया 85 था, तब करीब 1,76,471 डॉलर खर्च करने पड़ते
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मौजूदा स्तर पर केवल 1,66,667 डॉलर देने होंगे
लंबी अवधि में संपत्ति की कीमत बढ़ने के साथ-साथ मुद्रा लाभ भी एनआरआई के रिटर्न को कई गुना कर देता है।
5. परिवार को पैसे भेजने में सीधी बचत
कमजोर रुपया एनआरआई को हर डॉलर पर ज्यादा भारतीय रुपये दिलाता है, जिससे रेमिटेंस भेजना सस्ता पड़ता है।
वित्त वर्ष 2025 में भारत को 135.5 अरब डॉलर का अब तक का सबसे अधिक रेमिटेंस प्राप्त हुआ है। अनुमान है कि यह आंकड़ा मौजूदा कैलेंडर वर्ष में 144 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।