सरकारी आंकड़ों से संकेत मिलता है कि नवंबर में थोक महंगाई के मोर्चे पर कुछ राहत देखने को मिली है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर नवंबर में महंगाई दर माइनस 0.32 प्रतिशत रही, जबकि अक्तूबर में यह माइनस 1.21 प्रतिशत पर थी। पिछले वर्ष नवंबर में थोक महंगाई 2.16 प्रतिशत दर्ज की गई थी। खाद्य वस्तुओं, खासकर दालों और सब्जियों की कीमतों में महीने-दर-महीने बढ़ोतरी से थोक महंगाई में सुधार दर्ज किया गया।

उद्योग मंत्रालय के अनुसार, नवंबर 2025 में डब्ल्यूपीआई आधारित महंगाई नकारात्मक दायरे में बनी रही। इसका प्रमुख कारण खाद्य वस्तुओं, खनिज तेलों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, बेसिक मेटल्स तथा बिजली की कीमतों में नरमी रहा।

अपस्फीति का संकेत
डब्ल्यूपीआई थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में औसत बदलाव को दर्शाता है। जब महंगाई दर नकारात्मक होती है, तो इसका अर्थ अपस्फीति से है, यानी पिछले वर्ष की तुलना में कई जरूरी वस्तुएं थोक बाजार में सस्ती हुई हैं।

खाद्य और अन्य श्रेणियों का हाल
आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में खाद्य पदार्थों में अपस्फीति 4.16 प्रतिशत रही, जो अक्तूबर में 8.31 प्रतिशत थी। सब्जियों में अपस्फीति नवंबर में घटकर 20.23 प्रतिशत रह गई, जबकि अक्तूबर में यह 34.97 प्रतिशत थी। दालों में नवंबर में 15.21 प्रतिशत की अपस्फीति दर्ज की गई। आलू और प्याज की कीमतों में भी क्रमशः 36.14 प्रतिशत और 64.70 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई।

विनिर्मित उत्पादों में महंगाई दर नवंबर में घटकर 1.33 प्रतिशत रही, जो अक्तूबर में 1.54 प्रतिशत थी। वहीं, ईंधन और बिजली श्रेणी में 2.27 प्रतिशत की नकारात्मक महंगाई दर्ज की गई, जबकि अक्तूबर में यह 2.55 प्रतिशत थी।

खुदरा महंगाई में हल्की बढ़त
इससे पहले जारी आंकड़ों में बताया गया था कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण नवंबर में खुदरा महंगाई (सीपीआई) में मामूली इजाफा हुआ। सीपीआई रिकॉर्ड निचले स्तर 0.25 प्रतिशत से बढ़कर 0.71 प्रतिशत पर पहुंच गई।

ब्याज दरों में कटौती का असर
कम मुद्रास्फीति के माहौल ने भारतीय रिजर्व बैंक को चालू वित्त वर्ष में नीतिगत ब्याज दरों में कुल 1.25 प्रतिशत अंक की कटौती का अवसर दिया है। आरबीआई ने हाल ही में चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 2.6 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया है। इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय बैंक ने रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर इसे 5.25 प्रतिशत कर दिया था।

रिजर्व बैंक का कहना है कि अर्थव्यवस्था इस समय उच्च विकास और कम महंगाई के दौर से गुजर रही है। साथ ही, वित्त वर्ष 2026 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान भी बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया गया है। सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था ने 8.2 प्रतिशत और जून तिमाही में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी।