मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर अपने स्पष्ट विचारों और सामाजिक मुद्दों पर बेबाक राय के लिए जाने जाते हैं। वे अक्सर समसामयिक विषयों पर अपने विचार खुलकर रखते हैं—चाहे वह फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा हो या देश के सामाजिक-राजनीतिक हालात से। इसी बेबाकी के चलते वे कई बार आलोचनाओं के घेरे में भी आ जाते हैं, लेकिन वे अपने विचार व्यक्त करने से पीछे नहीं हटते।
हाल ही में जावेद अख्तर का एक सोशल मीडिया पोस्ट चर्चा में है। उन्होंने अपने X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर एक शायरी साझा की है, जिसे कई यूज़र मालेगांव विस्फोट मामले में एनआईए कोर्ट के हालिया फैसले से जोड़ रहे हैं।
क्या लिखा जावेद अख्तर ने?
जावेद अख्तर ने अपने पोस्ट में लिखा—
“पुलिस वाले करें भी तो करें क्या… तलाशें भी तो वो कितनी तलाशें… कोई कातिल नहीं होता किसी का… खुद अपना कत्ल कर लेती हैं लाशें।”
इस शायरी को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कई यूज़र इसे कोर्ट द्वारा मालेगांव ब्लास्ट केस में सातों आरोपियों को बरी किए जाने पर अप्रत्यक्ष प्रतिक्रिया मान रहे हैं। हालांकि, जावेद अख्तर ने अपने पोस्ट में न तो किसी व्यक्ति का नाम लिया है और न ही मालेगांव का कोई ज़िक्र किया है।
क्या है मालेगांव ब्लास्ट मामला?
साल 2008 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में एक व्यस्त सड़क पर हुए बम धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और करीब 100 लोग घायल हुए थे। घटना के कुछ ही समय बाद महाराष्ट्र एंटी-टेररिज़्म स्क्वाड (ATS) ने जांच करते हुए भारतीय जनता पार्टी की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
करीब 17 साल तक चले मुकदमे के बाद एनआईए की विशेष अदालत ने बीते गुरुवार को सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट के फैसले के बाद देशभर में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।