वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कतर की क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। इस आदेश के तहत अमेरिका ने साफ किया है कि कतर पर किसी भी प्रकार के हमले को वह अपनी शांति और हितों के लिए खतरा मानेगा और आवश्यक होने पर कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य कदम उठाएगा। यह घोषणा ऐसे समय आई है, जब हाल ही में इस्राइल के हमले में कतर के छह लोगों की मौत हुई थी, जिनमें एक सुरक्षा बल का जवान भी शामिल था।
इस्राइल हमले की पृष्ठभूमि
ट्रंप का यह फैसला ऐसे समय आया है जब इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू वॉशिंगटन दौरे पर हैं। बताया जा रहा है कि ट्रंप ने इस दौरान नेतन्याहू और कतर के अधिकारियों के बीच बातचीत कराई, जिसमें नेतन्याहू ने कतर में हुए हमले पर खेद जताया।
कतर और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी
कतर लंबे समय से अमेरिका का अहम सैन्य सहयोगी रहा है। अमेरिकी सेंट्रल कमांड का संचालन कतर के अल-उदीद एयरबेस से होता है। वर्ष 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कतर को गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा भी दिया था। प्राकृतिक गैस संसाधनों और सामरिक स्थिति के कारण कतर मध्य-पूर्व में अमेरिका की नीतियों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है।
कानूनी प्रभाव पर सवाल
हालांकि, ट्रंप के इस कदम की कानूनी वैधता पर बहस जारी है। अमेरिकी संविधान के अनुसार अंतरराष्ट्रीय समझौतों के लिए सीनेट की मंजूरी आवश्यक होती है, जबकि कार्यकारी आदेशों को राष्ट्रपति अकेले जारी कर सकते हैं। ऐसे में यह आदेश व्यावहारिक रूप से कितना प्रभावी होगा, इस पर संदेह बना हुआ है।
खाड़ी क्षेत्र में बढ़ता तनाव
इस्राइल के हालिया हमले के बाद खाड़ी देशों में सुरक्षा को लेकर नया तनाव पैदा हो गया है। सऊदी अरब ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौता किया है, जिसके तहत पाकिस्तान का परमाणु सुरक्षा कवच अब रियाद तक विस्तारित होगा। जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में अन्य खाड़ी देश भी अमेरिका से इसी तरह की सुरक्षा गारंटी की मांग कर सकते हैं, ताकि इस्राइल और ईरान से उत्पन्न चुनौतियों का सामना किया जा सके।