जोहान्सबर्ग। साउथ अफ्रीका में आयोजित G20 समिट में शामिल देशों ने आतंकवाद के खिलाफ कठोर रुख अपनाने का संदेश दिया है। समिट के घोषणापत्र में भारत की जीरो टॉलरेंस नीति का समर्थन करते हुए कहा गया कि किसी भी प्रकार के आतंकवाद की निंदा की जाएगी, इसमें कोई अपवाद नहीं होगा।
घोषणापत्र में यह भी कहा गया कि दुनिया आज बढ़ती जियोपॉलिटिकल और आर्थिक अस्थिरता, वैश्विक विवाद और असमानता के समय में खड़ी है। ऐसे माहौल में साझा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए मल्टीलेटरल कोऑपरेशन बेहद जरूरी है।
शांति और मानवाधिकारों पर जोर
डिक्लेरेशन में यह भी उल्लेख किया गया कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के अनुसार किसी भी देश को दूसरे की संप्रभुता या क्षेत्रीय अखंडता पर कब्जा करने की धमकी नहीं देनी चाहिए। साथ ही, देशों को मित्रवत संबंध बनाने, जाति, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर भेदभाव से बचने और मानवाधिकारों का सम्मान करने पर बल देना चाहिए।
G20 लीडर्स ने विशेष रूप से सूडान, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाके और यूक्रेन में स्थायी शांति स्थापित करने का संकल्प लिया। साथ ही विश्व के अन्य झगड़ों और युद्धों को खत्म करने पर भी जोर दिया गया।
अमेरिका की अड़चन के बावजूद घोषणापत्र अपनाया
समिट में शामिल शासनाध्यक्षों ने अमेरिका की आपत्तियों के बावजूद घोषणापत्र को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। यह कदम इस बार सम्मेलन की शुरुआत में ही किया गया, जबकि आम तौर पर इसे समापन में अपनाया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक विकास मानदंडों की समीक्षा और मादक पदार्थों तथा आतंकवाद से निपटने के लिए G20 पहल और वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रतिक्रिया दल बनाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने फेंटानिल जैसे खतरनाक मादक पदार्थों की तस्करी रोकने की चुनौती पर भी ध्यान केंद्रित किया।