पीएम मोदी की अर्जेंटीना यात्रा: लिथियम से लेकर रक्षा सहयोग तक होंगे कई रणनीतिक समझौते

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अपने पांच देशों के विदेश दौरे के तीसरे चरण में अर्जेंटीना पहुंचे। 4 और 5 जुलाई को ब्यूनस आयर्स में हो रही यह यात्रा भारत और अर्जेंटीना के बीच कूटनीतिक और व्यापारिक रिश्तों को एक नई दिशा देने का संकेत मानी जा रही है। यह 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की यात्रा के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय अर्जेंटीना यात्रा है।

यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देश ऊर्जा, रणनीतिक खनिज, रक्षा और तकनीकी सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। साथ ही यह यात्रा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से ठीक पहले हो रही है, जिससे इसकी रणनीतिक अहमियत और भी बढ़ गई है।

रणनीतिक खनिज और ऊर्जा सहयोग

अर्जेंटीना के लिथियम, तांबा और शेल गैस जैसे संसाधन भारत की ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र की प्राथमिकताओं से मेल खाते हैं। लिथियम त्रिकोण (अर्जेंटीना, चिली और बोलीविया) में मौजूद खनिज भारत की बैटरी निर्माण योजनाओं के लिए बेहद अहम हैं। भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी KABIL पहले ही अर्जेंटीना के कैटामार्का क्षेत्र में लिथियम की खोज के अधिकार प्राप्त कर चुकी है। इस यात्रा के दौरान नए समझौतों की भी उम्मीद है।

अर्जेंटीना की एलएनजी क्षमता और शेल गैस भंडार भी भारत के लिए संभावनाओं से भरपूर क्षेत्र हैं, खासकर खाड़ी देशों की ऊर्जा आपूर्ति में अनिश्चितता के चलते। अर्जेंटीना भारत को एलएनजी निर्यात करने और अपस्ट्रीम परियोजनाओं में निवेश आमंत्रित करने को इच्छुक है।

व्यापार संबंधों में नए अवसर

भारत और अर्जेंटीना के बीच व्यापार 2024 में 5.2 अरब डॉलर को पार कर गया है। दोनों देश अब खाद्य तेलों से आगे बढ़कर कृषि उत्पादों, दवाओं, आईटी सेवाओं और औद्योगिक वस्तुओं के क्षेत्र में व्यापार बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं। भारत अब अर्जेंटीना का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार बन चुका है।

भारत द्वारा मर्कोसुर व्यापार समझौते को सक्रिय करने की कोशिशों में अर्जेंटीना की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। अर्जेंटीना की नई सरकार वैश्विक स्तर पर आर्थिक साझेदारी को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण रखती है।

रक्षा, अंतरिक्ष और डिजिटल साझेदारी

भारत और अर्जेंटीना रक्षा सहयोग को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी में हैं। अर्जेंटीना भारतीय निर्मित तेजस लड़ाकू विमान और अन्य सैन्य उपकरणों में रुचि दिखा रहा है। यात्रा के दौरान संयुक्त प्रशिक्षण, सह-निर्माण और तकनीक हस्तांतरण पर चर्चा हो सकती है।

साथ ही, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और टेलीमेडिसिन के क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाया जाएगा। अर्जेंटीना भारत के डिजिटल शासन और स्वास्थ्य सेवाओं के मॉडलों से सीखने को इच्छुक है।

अंतरिक्ष और तकनीकी भागीदारी

भारत की इसरो और अर्जेंटीना की अंतरिक्ष एजेंसी CONAE के बीच पहले से सहयोग है, जिसे और मजबूत करने के प्रयास इस यात्रा में किए जा सकते हैं। दोनों देशों की अंतरिक्ष तकनीक में भागीदारी से अनुसंधान और डेटा साझा करने में सहयोग मिलेगा।

व्यापारिक आँकड़े और निवेश

विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत-अर्जेंटीना व्यापार 2019 से 2022 के बीच दोगुना से अधिक हुआ। 2022 में यह 6.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। हालांकि 2023 में अर्जेंटीना में सूखे के कारण व्यापार घटकर 3.9 अरब डॉलर रह गया था। 2024 में व्यापार में फिर से तेजी आई है और यह 5.2 अरब डॉलर को पार कर चुका है।

2025 के शुरुआती महीनों में व्यापार में 53.9% की वृद्धि दर्ज की गई है और अब तक का द्विपक्षीय व्यापार 2.05 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। भारत को अर्जेंटीना का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार माना जाता है।

भारत से अर्जेंटीना को भेजी जाने वाली प्रमुख वस्तुएं हैं – पेट्रोलियम उत्पाद, कृषि रसायन, दवाएं, वस्त्र और दोपहिया वाहन। वहीं अर्जेंटीना से भारत को मुख्यतः सोयाबीन और सूरजमुखी तेल, चमड़ा, अनाज और दालों का आयात होता है।

निवेश संबंध

भारतीय कंपनियों ने अर्जेंटीना में अब तक 1.2 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जिनमें टीसीएस, इंफोसिस, बजाज, टीवीएस, एमफैसिस, श्री श्री तत्व जैसी कंपनियां शामिल हैं। अर्जेंटीना की कंपनियों ने भी भारत में लगभग 120 मिलियन डॉलर का निवेश किया है।

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