वॉशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने अब तक के कड़े रुख में बदलाव करते हुए माना है कि देश को विदेशी कुशल पेशेवरों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केवल स्थानीय बेरोजगारों पर निर्भर रहकर अमेरिका अपनी इंडस्ट्री और टेक्नोलॉजी को आगे नहीं बढ़ा सकता।
एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को उद्योग और रक्षा जैसे क्षेत्रों में विशेष विशेषज्ञता वाले लोगों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “मैं सहमत हूं कि हमें अमेरिकी मजदूरों की आमदनी बढ़ानी चाहिए, लेकिन साथ ही हमें दुनिया भर से टैलेंट भी लाना होगा। यह अमेरिका को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे रखने के लिए जरूरी है।”
वीजा नीति में बड़ा बदलाव
हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा नीति में बड़ा संशोधन किया था। सितंबर में हस्ताक्षरित आदेश के तहत वीजा आवेदन शुल्क में भारी वृद्धि की गई है। अब नए आवेदन के लिए 1,500 डॉलर की जगह 1 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 83 लाख रुपये) का भुगतान करना होगा। यह नियम 21 सितंबर के बाद किए गए सभी नए आवेदन और 2026 की वीजा लॉटरी में भाग लेने वालों पर लागू होगा। हालांकि, जिनके वीजा पहले से जारी हैं या आवेदन पहले किए गए हैं, वे इससे प्रभावित नहीं होंगे।
“हर बेरोजगार को नहीं सिखाया जा सकता मिसाइल बनाना”
जब ट्रंप से पूछा गया कि अमेरिका में पहले से ही कई प्रतिभाशाली लोग हैं, तो उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है। कुछ विशेष कौशल ऐसे हैं जो हमारे पास नहीं हैं। हर बेरोजगार व्यक्ति को यह नहीं कहा जा सकता कि अब मिसाइल बनाना सीख लो। इसके लिए वर्षों का अनुभव और प्रशिक्षण जरूरी है।”
जॉर्जिया फैक्ट्री का उदाहरण
ट्रंप ने अपने तर्क को मजबूत करते हुए जॉर्जिया की एक ह्युंडई बैटरी फैक्ट्री का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि जब वहां दक्षिण कोरिया से आए कुशल कर्मचारियों को वापस भेजा गया, तो उत्पादन ठप पड़ गया। “बैटरियां बनाना बेहद जटिल और जोखिम भरा काम है। कई बार विस्फोट की घटनाएं होती हैं। कोरियाई विशेषज्ञ न केवल उत्पादन संभाल रहे थे, बल्कि अमेरिकी कर्मचारियों को प्रशिक्षित भी कर रहे थे। उनके जाने से पूरी व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई,” ट्रंप ने कहा।
पुराने रुख से अलग बयान
ट्रंप का यह बयान उनके पहले के विचारों से बिल्कुल उलट माना जा रहा है। अपने कार्यकाल के दौरान वे विदेशी कामगारों के विरोध में सख्त नीति अपनाते रहे और कहते थे कि इससे अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां छिनती हैं। अब उन्होंने स्वीकार किया है कि कई क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करने में सालों लगेंगे, इसलिए फिलहाल विदेशी विशेषज्ञों का सहयोग लेना जरूरी है।