भाजपा में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति पर मंथन, राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर भी चर्चाएं तेज

भारतीय जनता पार्टी ने विभिन्न राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर बैठकों का सिलसिला तेज कर दिया है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड सहित आठ राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन की दिशा में विचार-विमर्श जारी है। पार्टी की मंशा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित विदेश यात्रा (बुधवार से आरंभ) और शुक्रवार से शुरू होने जा रही आरएसएस की प्रांत प्रचारकों की बैठक से पहले इन नियुक्तियों को अंतिम रूप दे दिया जाए।

राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर सहमति अब भी लंबित
भाजपा और संघ के बीच नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर मतभेद अब भी बरकरार हैं। पार्टी नेतृत्व चाहता है कि संघ की बैठक से पहले इस मसले पर भी आम सहमति बन जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव बिहार विधानसभा चुनाव के बाद तक टल सकता है। उल्लेखनीय है कि बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।

उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरणों पर फोकस
उत्तर प्रदेश में नए अध्यक्ष को लेकर भाजपा का फोकस ओबीसी या दलित समाज से आने वाले नेता पर है। लोकसभा चुनावों में इन वर्गों के वोटों में गिरावट को देखते हुए पार्टी नेतृत्व इस दिशा में रणनीति बना रहा है। वर्तमान में जिन नामों पर चर्चा चल रही है उनमें दलित वर्ग से रमाशंकर कठेरिया और विद्यासागर सोनकर, जबकि ओबीसी में लोध समुदाय से धर्मपाल सिंह, बीएल वर्मा, बाबूराम निषाद और साध्वी निरंजन ज्योति शामिल हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के नेताओं से इस विषय पर फीडबैक भी लिया है।

अन्य राज्यों में संभावित चेहरे
पश्चिम बंगाल में भाजपा ममता बनर्जी के मुकाबले महिला चेहरा सामने लाने की योजना पर काम कर रही है। इस सिलसिले में लॉकेट चटर्जी और अग्निमित्रा पॉल के नामों पर चर्चा है, वहीं शमित भट्टाचार्य भी दावेदार माने जा रहे हैं। कर्नाटक में बीवाई विजयेंद्र की जगह सीटी रवि या सुनील कुमार को मौका मिल सकता है। महाराष्ट्र में रविंद्र चव्हान की संभावनाएं प्रबल हैं। मध्य प्रदेश में एससी वर्ग से लालसिंह आर्य और प्रदीप लारिया, जबकि एसटी वर्ग से फग्गन सिंह कुलस्ते और सुमेर सोलंकी के नामों पर मंथन जारी है।

संघ की मंशा: संगठन और सरकार की स्पष्टता
संघ का रुख स्पष्ट है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद किसी ऐसे वरिष्ठ नेता को दिया जाए जो संगठन और सरकार के बीच संतुलन बनाए रखते हुए संगठन को मजबूती दे सके। संघ यह भी चाहता है कि भविष्य की राजनीतिक दिशा तय करने के लिए इसी आधार पर सरकार और संगठन दोनों में जरूरी बदलाव की नींव रखी जाए।

Read News: करछना हिंसा: बाइकें फूंकी और बसों में तोड़फोड़… पथराव, भीड़ ने जमकर किया तांडव

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here