सूरत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेलवे परियोजना पर काम कर रहे इंजीनियरों और कर्मचारियों से कहा है कि वे अपने अनुभवों को व्यवस्थित रूप से रिकॉर्ड करें। उन्होंने बताया कि यह दस्तावेजीकरण भविष्य में अन्य उच्च गति रेल परियोजनाओं के लिए मार्गदर्शक का काम करेगा।

शनिवार को सूरत में हुई बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि यदि इस परियोजना से मिले अनुभवों को 'ब्लू बुक' की तरह संकलित किया जाए, तो देश बुलेट ट्रेन के बड़े पैमाने पर विस्तार में निर्णायक रूप से आगे बढ़ सकता है।

बार-बार प्रयोग से बचने पर जोर

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत को बार-बार नए प्रयोग करने की बजाय मौजूदा मॉडलों से सीख को दोहराना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह दोहराव तभी सार्थक होगा जब यह समझा जाए कि कोई कदम क्यों उठाया गया। अन्यथा, दोहराव बिना दिशा और उद्देश्य के होगा। उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज भविष्य के छात्रों और इंजीनियरों के लिए भी लाभकारी होगा और राष्ट्र निर्माण में योगदान देगा।

परियोजना की प्रगति और अनुभव साझा करना

पीएम मोदी ने इंजीनियरों से पूछा कि भारत की पहली बुलेट ट्रेन बनाने का अनुभव उनके लिए कैसा रहा और इसे उन्होंने अपने परिवार के साथ कैसे साझा किया। कई इंजीनियरों ने इसे अपने लिए 'ड्रीम प्रोजेक्ट' और 'गर्व का क्षण' बताया।

केरल की एक इंजीनियर ने नॉइज बैरियर फैक्टरी में रोबोटिक यूनिट के माध्यम से रीबार केज वेल्डिंग का अनुभव साझा किया। बेंगलुरू की मुख्य इंजीनियरिंग प्रबंधक श्रुति ने बताया कि टीम प्रत्येक चरण में फायदे और नुकसान का मूल्यांकन करती है और त्रुटिरहित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए विकल्पों का विश्लेषण करती है।

परियोजना का आकार और प्रगति

मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना लगभग 508 किलोमीटर लंबी है, जिसमें गुजरात और दादरा एवं नगर हवेली में 352 किलोमीटर और महाराष्ट्र में 156 किलोमीटर शामिल हैं। यह कॉरिडोर अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, वापी, ठाणे और मुंबई समेत कई प्रमुख शहरों को जोड़ता है।

इस परियोजना के लिए 465 किलोमीटर मार्ग पुलों पर आधारित है, जिससे न्यूनतम भूमि व्यवधान और बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित होती है। अब तक 326 किलोमीटर पुलों का काम पूरा हो चुका है और 25 में से 17 नदी पुल बन चुके हैं।

पूर्ण होने पर, बुलेट ट्रेन मुंबई-अहमदाबाद यात्रा का समय लगभग दो घंटे तक घटा देगी, जिससे यात्रा तेज, आरामदायक और सुविधाजनक होगी। इसके साथ ही, परियोजना से पूरे कॉरिडोर में व्यापार, पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।