नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र इस साल 1 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है और केंद्र सरकार इस दौरान 10 नए विधेयक पेश करने की तैयारी में है। इनमें सबसे ध्यान आकर्षित करने वाला है 'परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025', जो देश के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने की राह बनाएगा। अब तक यह क्षेत्र पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में रहा है। सरकार का कहना है कि यह नया कानून परमाणु ऊर्जा के उपयोग और नियमन को आधुनिक और प्रभावी बनाएगा, जिससे ऊर्जा उत्पादन और तकनीकी विकास को गति मिलने की उम्मीद है।

उच्च शिक्षा में सुधार की दिशा

सत्र में पेश होने वाले बिलों में हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल भी शामिल है। लोकसभा के बुलेटिन के अनुसार, यह बिल एक ऐसा आयोग बनाएगा जो विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को अधिक स्वायत्तता और स्वतंत्रता देगा, मान्यता की प्रक्रिया को पारदर्शी और मजबूत बनाएगा। सरकार लंबे समय से इस सुधार की योजना बना रही थी और इसे अब संसद में पेश किया जा रहा है।

सड़क, कंपनियों और वित्तीय बाजार के लिए महत्वपूर्ण संशोधन

सरकार कुछ पुराने कानूनों को सरल, आधुनिक और कारोबारी अनुकूल बनाने पर भी काम कर रही है। इसमें शामिल हैं:

  1. नेशनल हाईवेज (संसोधन) बिल- राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और आसान बनाने का उद्देश्य।

  2. कॉरपोरेट लॉज (संसोधन) बिल, 2025-कंपनियों अधिनियम 2013 और एलएलपी एक्ट 2008 में बदलाव कर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा।

  3. सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड (एसएमसी) बिल, 2025- सेबी अधिनियम, डिपॉजिटरी अधिनियम और प्रतिभूति अनुबंध विनियमन अधिनियम को मिलाकर एकीकृत सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बनाने का प्रस्ताव, जिससे बाजार नियम सरल और एक समान होंगे।

मध्यस्थता कानून में संशोधन

सरकार मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में सुधार पर भी विचार कर रही है। इस काम के लिए एक समिति नियुक्त की गई है। सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणियों और सेक्शन 34 में आवश्यक संशोधनों को ध्यान में रखते हुए नया प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

चंडीगढ़ के लिए राष्ट्रपति को कानून बनाने का अधिकार

एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव में चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में लाने का सुझाव है। इसके तहत राष्ट्रपति को संघ शासित क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष नियम और कानून बनाने का अधिकार मिलेगा। सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में संविधान (131वां संशोधन) विधेयक 2025 पेश करेगी। इस विधेयक का उद्देश्य चंडीगढ़ को अन्य बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों की तरह शामिल करना है, जैसे अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, तथा पुडुचेरी।