केंद्र सरकार ने देश की अगली जनगणना वर्ष 2027 में कराने की घोषणा की है। इस संबंध में राजपत्र अधिसूचना जारी कर दी गई है। अधिसूचना के अनुसार, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के हिमाच्छादित क्षेत्रों में यह प्रक्रिया 1 अक्तूबर 2026 से आरंभ होगी, जबकि भारत के अन्य हिस्सों में जनगणना का कार्य 1 मार्च 2027 से शुरू होगा।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को इस महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें गृह सचिव गोविंद मोहन और महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण शामिल थे, के साथ बैठक की। सरकार के अनुसार, आगामी जनगणना पूरी तरह डिजिटल स्वरूप में संपन्न होगी। इसके लिए एक मोबाइल एप विकसित किया जाएगा, जो 16 भाषाओं में उपलब्ध रहेगा और उसी के माध्यम से आवश्यक जानकारी जुटाई जाएगी।
गृह मंत्री शाह ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस बार 16वीं जनगणना में पहली बार जातिगत आंकड़े भी एकत्र किए जाएंगे। इस कार्य में लगभग 34 लाख गणक एवं सुपरवाइजर और 1.3 लाख जनगणना अधिकारी डिजिटल उपकरणों के साथ भाग लेंगे। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में यह प्रक्रिया 1 अक्तूबर 2026 से, जबकि शेष भारत में 1 मार्च 2027 से शुरू की जाएगी।
दो चरणों में होगी जनगणना प्रक्रिया
जनगणना दो चरणों में संपन्न होगी। पहले चरण में मकानों की सूची और उनकी गणना की जाएगी, जिसमें प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति और उपलब्ध सुविधाओं का विवरण दर्ज किया जाएगा। दूसरे चरण में जनसंख्या गणना की जाएगी, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति से संबंधित जनसांख्यिकीय, सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक जानकारी एकत्र की जाएगी।
स्वतंत्र भारत की 8वीं जनगणना
यह जनगणना भारत की कुल 16वीं और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 8वीं जनगणना होगी। पहली बार इसमें नागरिकों को स्व-गणना (सेल्फ एन्यूमरेशन) की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। डेटा सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, सूचना संग्रहण, प्रसारण और भंडारण के दौरान सख्त साइबर सुरक्षा मानकों का पालन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पिछली जनगणना वर्ष 2011 में संपन्न हुई थी और इस बार जनगणना 16 वर्षों के अंतराल पर की जा रही है।