इंडिगो संकट के बीच हाल में हवाई किरायों में आई तेज़ बढ़ोतरी के बाद केंद्र सरकार ने किराया सीमा तय कर हस्तक्षेप किया था। लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने शुक्रवार को संसद में स्पष्ट किया कि पूरे वर्ष टिकट दरों पर नियंत्रण बनाए रखना संभव नहीं है, क्योंकि बाजार की मांग विशेष तौर पर त्योहारों और छुट्टियों के दौरान स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है।
नायडू ने कहा कि देशभर में एक समान किराया सीमा लागू करना व्यवहारिक नहीं होगा। उनका तर्क था कि खुला और प्रतिस्पर्धी बाजार लंबे समय में उपभोक्ताओं के ही हित में काम करता है। उन्होंने याद दिलाया कि उड्डयन क्षेत्र को बढ़ावा देने के मकसद से ही सरकारी नियंत्रण में ढील दी गई थी, और जिन देशों ने तेज विकास दर्ज किया है, वहां भी बाजार को काफी हद तक स्वतंत्र रखा गया।
उन्होंने कहा कि खुले बाजार से नई कंपनियों के लिए अवसर बढ़ते हैं, प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और सहयोग के नए रास्ते खुलते हैं। इससे मांग और आपूर्ति प्राकृतिक रूप से संतुलित रहती है और अंततः यात्रियों को बेहतर विकल्प और कीमतें मिलती हैं।
किराया नियंत्रण की मांग को लेकर एक सांसद द्वारा लाए गए निजी विधेयक पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री ने दोहराया कि “उड्डयन क्षेत्र का विस्तार तभी संभव है जब इसे अनावश्यक नियंत्रणों से मुक्त रखा जाए।”
नायडू ने यह भी स्पष्ट किया कि एयरलाइन उद्योग को विनियमन से पूरी तरह मुक्त रखने के बावजूद, विमान अधिनियम के तहत केंद्र सरकार के पास असाधारण परिस्थितियों में दखल देने की शक्ति बनी रहती है। उन्होंने कहा कि यदि कहीं दुरुपयोग की आशंका दिखे, तो सरकार किराए की सीमा तय कर सकती है ताकि यात्रियों पर अनुचित वित्तीय बोझ न पड़े।